गाजियाबाद के मोहननगर चौराहे पर बना तीन करोड़ का एस्केलेटर तीन साल से बंद है। जीडीए ने इसे शुरू करने के लिए नगर निगम को हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया है लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। प्रतिदिन हजारों लोग चौराहे से गुजरते हैं और एस्केलेटर के बंद होने से उन्हें परेशानी हो रही है।
मोहननगर पर भागती-दौड़ती गाड़ियों के बीच में चौराहे को पार करना मुश्किल हो रहा था। उमस भरी गर्मी में पसीना पोंछते हुए दो बच्चों, महिला के साथ युवक के कभी कदम आगे बढ़े तो कभी पीछे हट जाते…चारों तरफ नजर घुमाई तो चाैराहे के साइड से ओवरब्रिज और साथ में एस्केलेटर नजर आया।
झटपट ये परिवार एस्केलेटर की तरफ चला लेकिन, ये क्या करीब 50 सीढ़ियां चढ़नी पड़ गईं। खैर रास्ता तो पार हो गया लेकिन एस्केलेटर के न चलने और इसकी हालत पर लोगों को हैरानी हुई।
दैनिक जागरण ने सोमवार को जब एस्केलेटर की पड़ताल की तो कुछ ऐसा ही दृश्य नजर आया। आसपास पूछताछ की तो पता चला कि शुरू होने के कुछ महीने बाद से ही यह बंद है और अब बुरी हालत में है।
जनवरी 2022 में हुई थी शुरुआत
कौशांबी, वैशाली, वसुंधरा से मोहननगर की ओर, यूपी बार्डर से गाजियाबाद की ओर जाने वाले और शहर से यूपी बार्डर और वैशाली, वसुंधरा और कौशांबी जाने वाले लोग मोहननगर चौराहे से गुजरते हैं। पूरे दिन में करीब 35 हजार लोगों का आवागमन यहां से होता है।
चौराहे पर ट्रैफिक को देखते हुए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने ओवरब्रिज के साथ एस्केलेटर को शुरू किया। तीन करोड़ रुपये इस पर खर्च हुए लेकिन संचालन लगभग दो महीने ही हो सका। इसके बाद से एस्केलेटर बंद पड़ा है।
शुरू कराने के लिए कई बार हुए प्रयास
चौराहे पर ट्रैफिक को देखते हुए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने ओवरब्रिज के साथ एस्केलेटर को शुरू किया। तीन करोड़ रुपये इस पर खर्च हुए लेकिन संचालन लगभग दो महीने ही हो सका। इसके बाद से एस्केलेटर बंद पड़ा है।
शुरू कराने के लिए कई बार हुए प्रयास
तीन साल में एस्केलेटर को शुरू कराने के लिए कई बार प्रयास हुए। टीएचए में कई संस्थाओं ने इसका मुद्दा उठाया। इसके बाद जीडीए ने नगर निगम से एस्केलेटर का हस्तांतरण लेने के लिए पत्र लिखा। इस पर फिलहाल निर्णय नहीं लिया जा सका है, जिसका खामियाजा लोग उठा रहे हैं।
जीडीए का पक्ष
कई बार नगर निगम को इसके हस्तांतरण के लिए पत्र लिखा गया है लेकिन अभी निर्णय नहीं हुआ है। एस्केलेटर से जीडीए को भी नुकसान हो रहा है। इसके संचालन के लिए 40 से 50 किलोवाट का कनेक्शन ले रखा है, जिसका मिनिमम बिल हर माह जीडीए जमा करा रहा है। अगर नगर निगम इसे ले लेता है तो ठेकेदार से इसको ठीक कराने का काम कराया जाएगा। – मानवेंद्र सिंह, प्रभारी व मुख्य अभियंता जीडीए
नगर निगम का पक्ष
अभी मेरे संज्ञान में पत्र संबंधी कोई जानकारी नहीं है। इसको पता कराया जा रहा है। इसके बाद आगे कुछ निर्णय लिया जाएगा। – विक्रमादित्य सिंह मलिक, नगर आयुक्त