बरेली: नारी चाहे तो किसी भी क्षेत्र में अपना मुकाम पा सकती है। जरूरत है खुद पर विश्वास करने की।
मीरगंज उपजिलाधिकारी तृप्ति गुप्ता ने कहा समाज में महिलाओं की भी भागीदारी उतनी ही है, जितनी एक पुरुष की, लेकिन फिर भी महिलाओं को आज भी तमाम जगहों पर वो जगह नहीं मिल पाती, जिसकी वो हकदार हैं. अपने अधिकारों के लिए तमाम मुद्दों पर आज भी उन्हें आवाज उठानी होती है.
सामाजिक रूप से महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने के लिए और उनके योगदान को समझाने के मकसद से हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है.
भारत में भी सरकार महिलाओं के लिए कई तरह की स्कीम चलाती है, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके।
बेटियों को सशक्त बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसको जितना हो सके पढ़ाओ। सभी महिलाओं को प्रोत्साहित करना जरूरी है मन के हारे हार, मन के जीते जीत। हर काम को करने से पहले यही सोचना चाहिए। महिलाओं को सशक्त करने का सबसे अच्छा तरीका है कि सभी महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाए। चाहे वह गृहिणी हों या ऑफिसर या फिर हाउस हेल्पर, सभी को सम्मान देना चाहिए। क्योंकि, ऑफिस में काम करने वाली ही सशक्त नहीं, बल्कि हर काम करने वाली महिला सशक्त हैं।
महिला सशक्तीकरण का मतलब केवल ऑफिस जाकर काम करने तक सीमित नहीं हैं। जो घर में आपको खाना खिलाती हैं, जो बच्चे को दूध पिलाती हैं, जो बच्चों में संस्कार भरती हैं, जो कभी बच्चे को चलना सिखाती हैं और उसके गिरने पर खुद रोने लगती हैं, वह सब भी सशक्त हैं, क्योंकि महिला के रूप बहुत हैं। उनका हर रूप सशक्त रूप है।
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