राज्य सरकार ने आवास योजना के तहत घरों के आवंटन में केंद्र की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है। इसे ‘मानवीय दृष्टिकोण’ के आधार पर लागू करने का निर्णय लिया है। इस पर विवाद खड़ा हो गया है।
भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को किसी भी तरह से केंद्र के पैसे को गबन करने का बहाना चाहिए, उसका उपाय ढूंढती रहती हैं।
दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को नवान्न में एक उच्च स्तरीय बैठक में मंत्रियों को यह निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र द्वारा थोपे गए नियमों के बजाय राज्य सरकार अपने मानवीय दृष्टिकोण से घर आवंटित करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र की शर्तों के तहत अवास योजना के आवास आवंटित नहीं किए जाएंगे। यह निर्णय तब आया है जब लंबे समय से राज्य और केंद्र के बीच आवास योजना को लेकर विवाद चल रहा है। केंद्र ने राज्य पर योजना के क्रियान्वयन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इस योजना के तहत मिलने वाले धन को रोक दिया था, जिससे लाखों लोगों का अधिकार रुक गया है।
राज्य सरकार द्वारा दिल्ली में बार-बार मांग उठाए जाने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला, जिसके बाद राज्य सरकार ने खुद से इस योजना के तहत धन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। इस बीच, विपक्षी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि आवास योजना की सूची में अनगिनत गलतियां हैं। उनका कहना है कि भारत सरकार द्वारा भेजी गई 17 टीमों ने पाया कि योग्य लोगों को घर नहीं मिले जबकि अयोग्य लोगों को आवास आवंटित कर दिया गया।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। पार्टी के पूर्व सांसद कुणाल घोष ने कहा, “यदि कुछ भ्रम हैं, तो वे दूर हो जाएंगे, लेकिन विपक्षी दल केवल इस योजना को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्र ने पैसे देने का वादा किया था, लेकिन नहीं दिया। अब ममता बनर्जी राज्य के पैसे से यह योजना चला रही हैं, जिससे बाधा उत्पन्न की जा रही है।”
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि सिर्फ आवास योजना ही नहीं, बल्कि फसल बीमा योजना के मामले में भी राज्य सरकार मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखेगी। उन्होंने कहा कि बिना किसी शर्त के जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।
नवान्न सूत्रों के मुताबिक, चक्रवात ‘दाना’ से राज्य के किसानों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए दिवाली के बाद राज्य के दो मंत्री जिलों का दौरा करेंगे।