छत्तीसगढ़ के मशहूर रंग निर्देशक और आकाशवाणी में वरिष्ठ उद्घोषक रहे मिर्ज़ा मसूद का निधन हो गया।बीती रात 3 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली। उनके निधन की खबर से कला जगत और पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है।मिर्जा मसूद को छत्तीसगढ़ राज्य शासन का चक्रधर सम्मान और चिन्हारी सम्मान सहित विद्यालय में भी विशेष सम्मान मिला था। मिर्जा मसूद राजधानी का ऐसा नाम है, जो सदैव रंगकर्म की छाप हर दिल में छोड़ जाता है।
इनके अलावा भी उन्हें अन्य अवसरों पर विविध सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। लेकिन वे स्वयं नाटकों के मंचन के समय दर्शकों की प्रतिक्रिया को ही अपना सबसे बड़ा पुरस्कार और प्रतिसाद मानते हैं। वे 80 साल की उम्र के बाद भी थिएटर में सक्रिय रहे और कई नाटकों को लिखा और उनका निर्देशन किया।पत्रकारिता के छात्रों को पढ़ाते समय वे अक्सर कहा करते थे- “सभी छात्रों को शहीद भगत सिंह की जीवनी जरुर पढनी चाहिए। यदि आप ये जीवनी नहीं पढ़ते हैं, तो आप सही अर्थों में जवान कहलाने के हकदार नहीं हैं”। पत्रकारिता के विषय में उनका कहना है कि पत्रकारिता अब गाँव में ही बेहतर हो सकती है। नई खबरें और कहानियां तो गाँव से ही निकलेंगी। अपने सिद्धांतों और उसूलों के लिए वे इतने आग्रही रहते हैं कि इसमें रत्ती भर भी समझौता उन्हें पसंद नहीं था ।