नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बुधवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद शाहीन बाग पहुंचे।
आज तक पर छपी खबर के अनुसार, इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला। दिल्ली के शाहीन बाग में लोगों को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ‘हमने अभी तक इतिहास में जलियांवाला बाग सुना था।
अब शाहीन बाग सुना है. यह गैर राजनीतिक आंदोलन है। ऐसा आंदोलन बार-बार नहीं होता है। अब अगले 10 दिन में शाहीन बाग जैसे 5000 प्रदर्शन स्थल बनाए जाएंगेे।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘जब सच्चे और ईमानदार लोग सड़क पर आते हैं, तब क्या होता है यह शाहीन बाग के लोगों ने सरकार को बता दिया है।
मैं जब जेल में था, तो दिल्ली में सर्दी ने 112 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, लेकिन प्रदर्शन ने सब रिकॉर्ड तोड़ दिए। मैं रोज अखबार पढ़ता था कि कहीं मेरी बहनों पर लाठीचार्ज तो नहीं किया गय।
मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए भीम आर्मी चीफ ने कहा कि यह गूंगी-बहरी सरकार को जगाने के लिए आज लाखों मां-बहनें सड़क पर उतर गई हैं। पहले भी हमने जन आंदोलन में अंग्रेजों को भगाया था और अब काले अंग्रेजों को भागेंगे।
उन्होंने कहा, ‘साल 1947 में बाबा साहब आंबेडकर हिंदू कोर्ट बिल लेकर आए थे, जिससे महिलाओं को अधिकार मिले. उनके दिल में कोई लालच नहीं था।
उनका सपना था कि महिलाएं देश का नेतृत्व करेंं। आज महिलाओं ने मोर्चा संभाल रखा है। चंद्रशेखर ने कहा कि दुनिया की बात सुनते हैं, हमारी बहनों की बात क्यों नहीं सुनते…हमेशा सच्चाई की जीत होती है और हमारी मेहनत जरूर कामयाब होगी।
इंसानियत की और देश के संविधान की जीत होगी। उन्होंने कहा, सीएए संविधान विरोधी है। जब तक भीम आर्मी और चंद्रशेखर है, तब तक देश में सीएए जो देश को धर्म के आधार पर बांटने वाला कानून है, उसे लागू नहीं होने देंगे।
इससे पहले सोमवार को दिल्ली पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल से शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से आग्रह किया था कि धरना खत्म कर दें।
आग्रह में कहा गया था कि महीने भर से दिए जा रहे धरने के चलते आसपास के इलाके की सड़कें बंद हैं।
पुलिस ने आग्रह किया था कि धरने पर बैठे लोग अपने ही उन लोगों के बारे में भी खुद से विचार करें, जिनका इस धरने से कुछ लेना-देना नहीं है।
इस धरने के चलते तमाम लोगों को परेशानी हो रही है। अब बच्चों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, जिससे उन्हें भी आने-जाने में लंबे रास्तों का इस्तेमाल करने को मजबूर होना पड़ेगा।