बोर्ड बैठक में 65 लाख पास होने के बाद भी नहीं बना स्लाटर हॉउस 

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नगर पालिका टाण्डा ने जनता के साथ किया धोखा

टाण्डा अम्बेडकरनगर।नगर पालिका परिषद टाण्डा ने स्लाटर हॉउस के मामले में टाण्डा नगर की जनता को जबरदस्त धोखा देने का काम किया है।नगर पालिका प्रशासन ने सरकार के शासनादेश पर बोर्ड की बैठक में 65 लाख रूपए पास तो कर दिया लेकिन उसको धरातल पर नहीं लाये जबकी नगर पालिका का करोड़ो रूपए नाली खड़न्जा और सड़क पर खर्च कर दिया लेकिन टाण्डा नगर क्षेत्र के नागरिको की भौतिक सुविधा और सैकड़ो परिवारो की रोजी रोटी से जुड़े स्लाटर हॉउस को आधुनिक बनाने में नगर पालिका प्रशासन ने कोई रूचि नहीं लिया और अब जब सरकार ने अपने शासनादेश को सख्ती के साथ लागू कर दिया है तो आनन फानन में नगर पालिका प्रशासन नियम कानून को ताक पर रखकर अपना ठीकरा दूसरे के सर फोड़ने के लिए लग गए थे लेकिन प्रशासन ने उनके इस मनसूबे को कामयाब नहीं होने दिया।

                        मामला नगर पालिका परिषद टाण्डा से जुड़े सिकन्दरबाद स्थित स्लाटर हॉउस का है जहाँ पर सन् 1954 से लगातार वैध जानवर को काटकर उनके गोश्त की बिक्री की जाती रही है और इस कार्य से नगर के सैकड़ो परिवारो की रोजी रोटी जुड़ी हुई है लेकिन नगर पालिका टाण्डा की लापरवाही की वजह से यह स्लाटर हॉउस मौके पर बन्द पड़ा है और इस कार्य से जुड़े सैकड़ो परिवारो के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है लेकिन नगर पालिका टाण्डा उक्त स्लाटर हॉउस को नियम कानून के तहत न बनवाकर उसपर अपनी राजनीती कर रही है।
       उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने 30 जून 2014 को एक शासनादेश जारी कर प्रदेश में अवैध चल रहे स्लाटर हॉउस को बन्द करने के साथ ही वैध स्लाटर हॉउस को आधुनिक बनाया जाये जिसके क्रम में दिनाँक 25 जनवरी 2016 को सांय 3 बजे पालिकाध्यक्ष हाजी इफ़्तेख़ार की अध्यक्षता में एक बोर्ड की बैठक नगर पालिका टाण्डा में हुई जिसमे कुल 219 प्रस्ताव सदन में रखा गया जिसमे क्रम संख्या 88 पर मोहल्ला सिकन्दरबाद  वार्ड संख्या 8 में स्थित स्लाटर हॉउस का आधुनिक स्लाटर हॉउस के रूप में निर्माण करने के लिए 65 लाख रूपए का प्रस्ताव पास किया गया और एक साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नगर पालिका प्रशासन ने अभी तक आधुनिक स्लाटर हॉउस का निर्माण नहीं कराया गया और अब जब नवनियुक्त सरकार ने सख्ती दिखाई है तो नगर पालिका प्रशासन आनन फानन में नियम कानून को ताक पर रखकर फर्श व दीवाल आदि सही कराकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री करके अपनी नाकामयाबी का ठीकरा दूसरो के सर पर फोड़ना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने इनकी चाल को कामयाब नहीं होने दिया लेकिन अब सवाल यह उठता है की जब एक साल पहले ही स्लाटर हॉउस को आधुनिक बनाने के लिए 65 लाख रूपए का प्रस्ताव पास है तो उसका टेण्डर न कराकर नगर पालिका प्रशासन केवल फर्श व दीवाल को क्यों सही करा रहा था जबकी नगर पालिका प्रशासन ने सन् 2013 -14 में 3 करोड़ 43 लाख 48 हजार 226 रूपए तथा सन् 2014 -15 में अक्टूबर 2015 तक 6 करोड़ 89 लाख 14 हजार 103 रूपए सड़क नाली व खड़न्जा में खर्च कर दिया गया तो मात्र 65 लाख रूपए स्लाटर हॉउस को आधुनिक बनाने में क्यों नहीं खर्च किया गया यह टाण्डा नगर की जनता के साथ धोखा नहीं तो फिर क्या है।
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