Friday, May 3, 2024
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अब इन रोगियों को किसी और शहर का रुख नहीं करना पड़ेगा

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लख़नऊ :मेदांता मेडिक्लिनिक ,लखनऊ द्वारा यूरोलॉजी एवं इंटरवेंशन न्यूरोलॉजी इत्यादि बीमारियों के इलाज में आई नयी तकनीकियों पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। 

प्रेस वार्ता का सम्बोधन मेदांता किडनी एवं यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट गुरुग्राम के चेयरमैन (पद्मश्री)डॉ एन.पी.गुप्ता एवं मेदांता इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरवेंशन न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ गौरव गोयल द्वारा किया गया। 
डॉ गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया की कॉमन टॉयलेट शेयर करना या फिर पेशाब आने पर भी बाथरूम न जाना,यूटीआई यानि की मूत्र मार्ग संक्रमण की बीमारी को न्यौता दे सकता है। जिस तरह ठहरे हुए पानी में बैक्टीरिया पैदा होने लगता है ,उसी तरह से जब पेशाब लगने पर उसे रोक लिया जाए,तो मूत्राशय में भी बैक्टेरिया पनपने और संख्या में बढ़ने लगते है,जिसमे यह स्तिथि पैदा हो जाती है। लड़को की बजाय लड़कियों में यूटीआई का खतरा ज्यादा देखने को मिलता है। 
इस बीमारी के कुछ लक्षण और उससे बचने के उपाय –
1. मूत्र में जलन 2. गुप्तांगो में खुजली 3. बार-बार मूत्र त्यागना 4. थोड़ा-थोड़ा यूरिन डिस्चार्ज होना और इस दौरान दर्द महसूस होना 5. मूत्र का रंग पीला होना और ज्यादा दुर्गंद आना 6 ज्यादा इंफेक्शन की स्तिथि में मूत्र के साथ ब्लड आना 7 कंपकपाहट के साथ बुखार 8 कमजोरी और थकान महसूस होना।
इस बीमारी से बचाव के तरिके बताते हुए डॉ गुप्ता ने खा कि कभी भी तेज आई पेशाब को रोके नहीं ,जब भी पेशाब लगे तुरंत जाएं  यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाएगा। इस बीमारी से बचने के लिए खूब ज्यादा पानी पिय। हर एक घंटे में पेशाब लगनी जरुरी है इसलिए आपको लगभग 8-10 ग्लास पानी तो रोज पीना चाहिए। मुख्यतः अधिक उम्र के मरीज जिनका मूत्र विसर्जन पर नियंत्रण नहीं होता है उनके लिए विशेष तकनीकी के द्वारा कृतिम यूरिनरी ब्लैडर के निर्माण के आवश्यकता होती है। 
डॉ गुप्ता ने बताया की लखनऊ मेदांता मेडिक्लिनिक इन रोगियों के लिए विशेष परामर्श केंद्र स्थापित किया जा रहा है एवं रोगी टेली मेडिसिन के माध्यम से किसी भी अपने बीमारी के उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त क्र सकते है। 
न्यूरो रिलेटेड बीमारियों के बारे में नकारी देते हुए डॉ गौरव गोयल ने बताया की इंडोस्कोपी के माध्यम से ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी बिना चीरे के हो सकती है ,इस माध्यम से दिप ट्यूमर या अन्य चोट को आसानी से दुरुस्त किया जा सकता है ,इसमें नाक के रास्ते ब्रेन की सर्जरी की जाती है ,जिसमे न्यूनतम ब्लड लोस के बिना चिर फाड़ के सर्जरी होती है ,जिसमें रोगी की एक से दो दिन में अस्पताल से छूटी की जा सकती है। 
डॉ एस.आर.मिश्रा डायरेक्टर मेदांता लिवर इंस्टीयूट ने लिवर ट्रांसप्लांट ने विशेष परामर्श केंद्र की स्थापना करते हुए बताया कि अब इन रोगियों को लीवर ट्रांसप्लांट संबंधी जानकारियों के लिए किसी अन्य शहर का अब रुख नहीं करना पड़ेगा। 
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