इससे बढ़कर और कौन सा अधर्म होगा

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लखनऊ। मूक पशुओं और पक्षियों पर होने वाला जीव अत्याचार मनुष्यता पर एक प्रकार का कलंक है आज हमारे समाज मे पशुओ का उत्पीड़न जिस बुरी तरह से किया जा रहा है जिससे बढ़कर और कौन सा अधर्म हो सकता है।जब तक मनुष्य अपने मे जीव दया पशुओं की सेवा समस्त प्राणियों के प्रति सहानुभूति की आदतों का विकास नही करेगा तब तक अन्य भौतिक उन्नति कर लेने पर भी वह व्यक्ति वास्तविक सुख शांति की प्राप्ति नही कर सकता है।


मनुष्य का अत्याचार उन्ही पशु-पक्षियों पर चल रहा है जो उसके एवं उसके ही पर्यावरण के लिए उपयोगी है। लोग गाय पालते है उससे दूध प्राप्त करते है और जब वो गाय दूध देने की स्थिति में नही होती या बूढ़ी हो जाती है तो सड़को पर छोड़ देते है जिससे वह गाय चारे के आभाव में कूड़ों से अपना आहार प्राप्त करने के चक्कर में पॉलीथीन कचरा को खा जाते है जो उन पशुओं को बीमार करते है एवं उनकी मृत्यु हो जाती है क्या यही हमारी सभ्यता है कि हम इतने खुदगर्ज हो गए कि हम सिर्फ खुद का फायदा का सोचें किंतु उन मूक पशुओ के बारे में नही जिनका दूध हमारे परिवार के लोगो ने उपयोग किया ! जो मनुष्य अपनी ही तरह पशु पक्षियों की पीड़ा का अनुभव करना नही सीखता वास्तविकता में तब तक उसको मनुष्य नही कहा जा सकता। कुछ लोग पशु-पक्षियों का उत्पीड़न अपने मनोरंजन के लिए करते है बैलों, मुर्गा, तीतर आदि को आपस मे लड़ा कर चंद पलो के मनोरंजन के लिए पशुओं पर यातना करते है जो कि किसी प्रकार से उचित नही ठहरा सकते हैं।
फैज़ाबाद जिले के डॉ. कुमार मंगलम यादव (पशु चिकित्सक) के द्वारा अब तक बहुत से पशुओँ की मुफ्त चिकित्सा कर उनको स्वस्थ व निरोगी बनाये रखने हेतु अपने साथी इ. राहुल (समाजसेवी) के साथ लावारिस पशुओं की सेवा भाव करते है तथा लोगो को भी इस सेवाभाव व पशुओं के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

प्राणी धातान् तुयो धर्म मोहनं मूढ़ मानसाः।
सवांहन्ति सुपावृष्टि कृष्णाहि मुख कोटरात्।।

अर्थात जो मूढ़ मति वाले व्यक्ति अन्य प्राणियों की हत्या करके धर्म की आकंछा करते वे मानो काले सर्प के मुख से अमृत की वर्षा की इच्छा रखते हैं।

पंचदेव यादव की रिपोर्ट           


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