व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : बाल विवाह मुक्त भारत का खाका पेश करने वाली पुस्तक

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अवधनामा संवाददाता

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर लिया गया बाल विवाह मुक्त टीकमगढ़ बनाने का संकल्प

टीकमगढ़, ललितपुर। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के दौरान गैर सरकारी संगठन साई ज्योति संस्थान ने राज्य के मध्य प्रदेश के जिला टीकमगढ़ में भुवन ऋभु की किताब व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज का लोकार्पण स्थानीय शासकीय वीरांगना अवन्ती बाई कन्या महाविध्यालय एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक बालिका विध्यालय मे किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाविध्यालय के प्राचार्य डा.एच.पी.मिश्रा एवं प्रधानाचार्य श्रीमती अरुण नूना रही। साई ज्योति संस्था के अजय श्रीवास्तव ने बताया कि किताब के लेखक भुवन ऋभु प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा की लड़ाई लडऩे वाले सुप्रीम कोर्ट के प्रखर अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन व साई ज्योति संस्थान के सलाहकार भी हैं। उन्होंने बताया कि बाल विवाह से सबसे ज्यादा प्रभावित 300 से ज्यादा जिलों में नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहद अहम दस्तावेज के रूप में यह किताब एक समग्र वैचारिक आधार, रूपरेखा और कार्ययोजना पेश करती है। इस अभियान का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह का पूरी तरह खात्मा और इस तरह हर साल 15 लाख बच्चियों को बाल विवाह से बचाना है। अभियान खास तौर से देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सरकारी नीतियों और कानूनों के क्रियान्वयन पर केंद्रित हैं। इस किताब का लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डा.एच.पी. मिश्रा ने किया। इस मौके पर के अलावा अन्य गणमान्य प्रो.डा.उषा सिंह, प्रो.डा.प्रवीण झा, प्रो.डा.अनुधा शर्मा, प्रो.डा.माधवी साहू, आरती द्विवेदी, बबीता श्रीवास्तव आदि समस्त अध्यापक-अध्यापिकाएं भी मौजूद थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डा.एच.पी.मिश्रा ने कहा बाल विवाह की चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन बहुत कुछ बाकी है क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। कहा कि भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढय़िों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा। शासकीय उच्चतर माध्यमिक बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्य अरुण नूना ने कहा व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन सुझाती है कि 2030 तक राष्ट्रीय बाल विवाह दर को 5.5 प्रतिशत तक लाना संभव है, ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी। उन्होंने कहा कि भुवन ऋभु अपनी किताब में लिखते हैं, जरूरत है बस समस्या की गंभीरता को समझते हुए दृढ़ संकल्प के साथ यह कहने की कि, अब और नहीं। पैदा होते ही मां को खो देने, बेचे जाने, बलात्कार का शिकार होने का मतलब एक बच्चे का बार-बार मरना है। देश के कोने-कोने के 288 जिलों में कार्यरत 160 संगठनों के साथ मिल कर स्थानीय और जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है। ये सभी संगठन 16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए। 16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की पहली वर्षगांठ है और तब से लेकर अब तक सामुदायिक सदस्यों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के प्रयासों से हजारों बाल विवाह रोके गए हैं और लाखों लोगों ने अपने समुदायों में बाल विवाह नहीं देने की शपथ ली है। इस अवसर पर साई ज्योति संस्थान के रमन शर्मा, कृष्णकांत अहिरवार महेश अहिरवार, सुरेश कुमार, नम्रता खरे, चंपा अहिरवार, काजल कोरी, रीना, वंदना लोधी, शिवा राय, आशीष पाल, ज्ञानेंद्र भास्कर, अरविंद घोष, प्रभु दयाल, साजन बानो प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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