विक़ार रिज़वी ‘कर्मयोद्धा’ का काम करते रहे : राम नाईक

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 “मेरे अजीज पत्रकार विक़ार रिज़वी के निधन से मैं व्यथित हूं. मेरी भावनाओं को शब्द देना बड़ा मुश्किल हो रहा है।” ऐसे शब्दों में अवधनामा के संपादक श्री विक़ार रिज़वी के निधन पर उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपना शोक व्यक्त किया।


 
“उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनने पर मुझे उर्दू भाषा से और उर्दू – जबानवालों से भी जोड़ने में जिन चंद लोगों की मदद हुई उनमे विक़ार प्रमुख थे। उनके अवधनामा तथा उर्दू रायटर्स फोरम ने मेरी ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के उर्दू संस्करण पर संगोष्ठी आयोजित कर मुझे तमाम उर्दू भाषिकों के घर तक पहुंचाया। कभी मैं सोचता था कि विक़ार जी को मुझसे ज्यादा मेरी पुस्तक प्रिय है। अवधनामा के कई विशेषांक उन्होंने मुझ पर बनाये जिसके लिए मैं कृतज्ञ हूं।


विक़ार रिज़वी की स्नेहमयी जिद को मैं भी टाल न सका। वक़ार जी ने पिछले वर्ष कड़ी मेहनत से पूरी पुस्तक बनवा ली थी। उसमें अनेक बाधाएं आयी। उनकी माँ भी गुजर गयी। फिर भी वह ‘कर्मयोद्धा’ का काम करते रहे।


विक़ार रिज़वी ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर कुछ विशेष पुस्तक बनाना चाहते थे। मैंने राज्यपाल पद पर होते हुए ऐसा करना उचित नहीं कह कर उनकी बात टाल दी थी। मात्र जैसे ही मेरा कार्यकाल पूर्ण हुआ वक़ार जी ने पुस्तक बनाने की जिद पकड़ ली। उनकी स्नेहमयी जिद को मैं भी टाल न सका। वक़ार जी ने पिछले वर्ष कड़ी मेहनत से पूरी पुस्तक बनवा ली थी। उसमें अनेक बाधाएं आयी। उनकी माँ भी गुजर गयी। फिर भी वह ‘कर्मयोद्धा’ का काम करते रहे।

25 दिसंबर 2020 को उन्होंने पुस्तक के लिए प्रकाशक का मंतव्य भी पूर्ण किया। पुस्तक छप कर विमोचन के लिए हम दोनों करोना के संकट की समाप्ति की राह देख रहे थे। और उस संकट ने हमारे विक़ार जी को ही छीन लिया। विक़ार जी को मेरी वास्तविक श्रद्धांजलि यही होगी कि करोना समाप्ति के बाद  मैं लखनऊ आकर उस पुस्तक का विमोचन करूँ।”
 
श्री राम नाईक ने अंत में कहा, “विक़ार रिज़वी जैसे पत्रकार, जिन्होंने मजहब, भाषा के परे पत्रकारिता का धर्म निभाया, मैंने नहीं देखे। मैं स्वयं वक़ार जी के निधन से आहत हूं। उनके परिवारजनों को मेरी ह्रदय से सांत्वना। वक़ार जी को जन्नत मिले यही मेरी प्रार्थना।

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