Thursday, May 2, 2024
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धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट पक्षपाती: भारत

वॉशिंगटन/नई दिल्ली। भारत ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रिय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2022 को खारिज कर दिया है। भारत ने कहा- अमेरिका की रिपोर्ट गलत जानकारी पर आधारित है। दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 15 मई को जारी की थी।
रिपोर्ट में कहा गया- भारत, चीन, रूस, सऊदी अरब जैसे देशों में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जवाब दिया। जवाब में कहा- यह रिपोर्ट अमेरिकी अधिकारियों की बेबुनियाद जानकारी पर आधारित है। कुछ अमेरिकी अधिकारियों की ये पक्षपाती टिप्पणियां ऐसी रिपोट्र्स की विश्वसनीयता को कम करने का काम कर रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया- आवास, अल्पसंख्यक मुद्दों और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों ने जून 2022 में मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था- राज्य सरकार ने मनमाने ढंग से मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर कार्रवाई की थी। उनके घर तोड़े थे। दरअसल, पिछले साल खरगोन में रामनवमी के जूलूस के दौरान पथराव हुआ था। सरकार ने कार्रवाई करते हुए कई घर-दुकानें गिरा दी थीं। इन्हें पथराव करने वालों से संबंधित बताया गया था।
रिपोर्ट में 2020 में हुई दिल्ली हिंसा का भी जिक्र किया गया। इसमें अक्टूबर 2022 में जारी हुई एक सिटिजन कम्युनिटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया- पुलिस ने प्रोटेस्ट करने वालों के साथ मार-पीट की। इनमें से ज्यादातर प्रदर्शनकारी मुस्लिम थे।
भारत ने कहा था- अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति हो रही
भारत ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2021 को भी खारिज करते हुए कहा था कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित बातों और विचारों के आधार पर कोई कनक्लूजन नहीं निकाला जाना चाहिए।
अमेरिका में हो रहे हेट क्राइम का जिक्र किया था
2021 में सामने आई धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर भारत ने अमेरिका में नस्लीय हिंसा और फायरिंग के मामलों का जिक्र किया था। अरिंदम बागची ने कहा था- एक डाइवर्स सोसायटी के तौर पर भारत धार्मिक आजादी और मानवाधिकारों का सम्मान करता है। अमेरिका के साथ बातचीत में हमने वहां के मुद्दों पर ध्यान दिलाया है। इसमें नस्ल और मूल के आधार पर होने वाले हमले, हेट क्राइम्स और गन वॉयलेंस के मुद्दे शामिल हैं।

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