नई दिल्ली। मणिपुर के कई जिलों में जनजातीय समूहों द्वारा रैलियां निकाली गई जिसके बाद मणिपुर में कई जगहों पर हिंसा देखने को मिली। वहीं अब भारतीय सेना ने नागरिकों से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से मिलने वाली जानकारी पर भरोसा करने का आग्रह किया है।
बता दें कि मणिपुर में सुरक्षा स्थिति को लेकर कई फेक वीडियो प्रसारित हुए थे जिसके बाद भारतीय सेना ने लोगों को आगाह किया है।
SpearCorps.IndianArmy ने ट्वीट किया और लिखा कि असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के वीडियो सहित मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर नकली वीडियो को कुछ लोगों द्वारा अपने स्वार्थों के लिए प्रसारित किया जा रहा है। भारतीय सेना सभी से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से मिलने वाली जानकारी पर ही भरोसा करने का अनुरोध करती है।
मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति के बाद, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है।
एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने एएनआई से कहा कि स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं कर रही है। मणिपुर सरकार द्वारा ट्रेन की आवाजाही रोकने की सलाह के बाद यह फैसला लिया गया है।
राज्य में लगातार बढ़ रही हिंसा को देखते हुए, मोबाइल डेटा के बाद अब मणिपुर में ब्रॉडबैंड सेवाएं भी निलंबित हैं। सरकार ने रिलायंस जियो फाइबर, एयरटेल एक्सट्रीम, BSNL आदि को हिंसा और अफवाह फैलाने के लिए ब्रॉडबैंड और डेटा सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है।
मणिपुर राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण अगले 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का आदेश दिया गया है। MHA के शीर्ष अधिकारी लगातार राज्य के संपर्क में है और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट कर कहा कि मणिपुर में हाल की घटनाओं से प्रभावित कई परिवारों ने असम में शरण ली है। मैंने कछार के जिला प्रशासन से इन परिवारों की देखभाल करने का अनुरोध किया है। मैं सीएम एन बीरेन सिंह के साथ भी लगातार संपर्क में हूं और इस संकट की घड़ी में असम सरकार को पूरा समर्थन देने का वादा किया है।
मणिपुर में भड़की हिंसा को लेकर सेना के प्रवक्ता ने बताया कि अभी तक हिंसाग्रस्त चूड़चंदपुर में करीब 5,000 लोगों को सुरक्षित गृहों में पहुंचाया गया है, वहीं 2,000 लोगों को इंफाल घाटी और 2,000 अन्य लोगों को तेंगनौपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में निकाला गया है।
सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि सेना और असम राइफल्स को बुधवार रात बुलाया गया था और उन्होंने पुलिस के साथ मिलकर सुबह तक हिंसा पर नियंत्रण कर लिया है। राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चूड़चंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मैती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग के खिलाफ चूड़चंदपुर जिले के तोरबंग इलाके में आल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई थी। राज्य में आदिवासियों की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है। मैती समुदाय की मांग के संबंध में पिछले महीने मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को एक सिफारिश भेजने के लिए कहा था। इसके बाद ही एटीएसयूएम ने मार्च का आयोजन किया था।
पुलिस के अनुसार, तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान सशस्त्र लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मैती समुदाय के लोगों पर हमला किया था। इसके जवाब में घाटी के जिलों में जवाबी हमले हुए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।
तोरबंग में 3 घंटे से अधिक समय तक हुई हिंसा में कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ के साथ आगजनी भी की गई। इंफाल घाटी के कई इलाकों में कुकी आदिवासियों के घरों में तोड़फोड़ की गई, जिससे उन्हें इलाका छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इंफाल पश्चिम में कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी अपने घर छोड़कर चले गए हैं और वर्तमान में लम्फेलपत में CRPF शिविर में रह रहे हैं।
इंफाल घाटी में बीती रात कुछ पूजा स्थलों को भी आग के हवाले कर दिया गया। कांगपोकपी जिले के मोतबंग इलाके में 20 से अधिक घर जलकर खाक हो गए। तेंगनौपाल जिले में म्यांमार सीमा के पास मोरेह से भी हिंसा की सूचना है। आदिवासी बहुल चूड़चंदपुर जिले के करीब 1,000 मैती लोग क्वाक्ता व मोइरांग सहित बिष्णुपुर जिले के विभिन्न इलाकों में चले गए है।
घाटी के जनप्रतिनिधियों ने पहले कुछ मैती संगठनों की ST का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया था जिससे ST की सूची में शामिल कुछ समुदाय नाराज हो गए थे। दरअसल, मैती समुदाय का कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों के आने से उन्हें समस्या हो रही है।
मणिपुर में पिछले 3 दिनों से स्थिति काफी खराब है। इसके पहले बुधवार-गुरुवार को ही सरकार ने यहां इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश दे दिया था। वहीं दूसरी ओर गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक्शन मोड में आ गए। उन्होंने पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, केंद्रीय गृह सचिव, निदेशक आईबी और राज्य के साथ-साथ केंद्र के संबंधित अधिकारियों के साथ दो वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग बैठकें कीं। मणिपुर में हालात सामान्य करने के लिए भारतीय वायुसेना की मदद भी ली जा रही है।
मणिपुर में हो रही हिंसा के बीच लोगों की किसी भी प्रकार की सहायता की जरूरत होने पर उनके लिए राज्य सरकार ने हेल्पलाइन नंबर एक्टिव किए हैं। वर्तमान में मणिपुर और इंफाल शहर में नागालैंड के लोगों के लिए किसी को भी सहायता की जरूरत पड़ती है तो राज्य पुलिस नियंत्रण कक्ष से संपर्क कर सकते हैं। मेघालय के बाद, नागालैंड ने भी राज्य के उन लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं जो मणिपुर में फंसे हुए हैं।