घाटी में माइनॉरिटीज का कोई इश्यू नहीं, यूएन को भारत का जवाब

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जिनेवा/नई दिल्ली। यूएन में इंडियन मिशन ने मंगलवार को इन आरोपों का जवाब दिया। कहा- इस तरह के आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। भारत इन्हें खारिज करता है। बतौर जी20 प्रेसिडेंट भारत को यह हक है कि वो देश के किसी भी हिस्से में इस समिट की मीटिंग्स ऑर्गेनाइज करे।
कुछ दिन पहले हृ के माइनॉरिटीज अफेयर्स रिप्रेजेंटेटिव फर्नांड डि’वर्नेस ने जम्मू-कश्मीर और वहां माइनॉरिटीज के इश्यूज पर बयान जारी किया था। भारत सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है।
यूएन में भारतीय मिशन ने कहा- फर्नांड का बयान बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। वो जम्मू-कश्मीर के मामले को सियासी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया पर पब्लिसिटी हासिल करने की कोशिश की है। उन्होंने जो कुछ कहा है वो हकीकत में पहले से बनी सोच का नतीजा है और यह यूएन रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर गलत हरकत है।
वर्नेस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। इसमें कहा था कि जम्मू-कश्मीर में जी20 मीटिंग कराने का फैसला गलत है। उन्होंने घाटी में मानवाधिकारों को लेकर फिक्रमंदी जाहिर की थी। साथ ही भारत पर ताकत के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इसमें माइनॉरिटीज को दबाने का आरोप भी शामिल था।
श्रीनगर में जी20 की मीटिंग्स 22 से 24 मई के बीच होंगी। इस मामले को सबसे पहले तूल पाकिस्तान की तरफ से दिया गया था। जैसे ही कश्मीर में जी20 मीटिंग कराने का ऐलान हुआ था, पाकिस्तान ने यह मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान ने कहा था कि कश्मीर विवादित जगह है और जब तक इस मसले का हल नहीं होता, तब तक वहां कोई इंटरनेशनल समिट नहीं हो सकती।
4 और 5 मई को गोवा में जी20 के फॉरेन मिनिस्टर्स की मीटिंग में पाकिस्तान के फॉरेन मिनिस्टर बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल हुए थे। उन्होंने भी इशारों में इस मसले को प्रेस कॉन्फ्रें स में उठाया था।
इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था- जी20 की मीटिंग्स कहां होंगी और कहां नहीं, इससे उस देश का कोई ताल्लुक नहीं हो सकता जो इस ऑर्गेनाइजेशन का मेंबर ही नहीं है। जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा था, है और रहेगा। हम अपने देश में जहां चाहेंगे, वहां इसकी मीटिंग करा सकते हैं।
जी-20 पर एक नजर
यूरोपियन यूनियन मिलकर जी-20 का निर्माण करते है। इसमें 20 देशों के अध्यक्षों की वार्षिक बैठक होती है जिसको जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में सभी देशों के मुख्य विषय यानी आतंकवाद, आर्थिक परेशानी, ग्लोबल वॉर्मिंग, स्वास्थ्य और अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। पूरी दुनिया में जितना भी आर्थिक उत्पादन होता है उसमें 80प्रतिशत योगदान इन्हीं जी 20 देशों का होता है।
जी20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्र ांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्र ीका, दक्षिण कोरिया, तुर्कीये, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

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