किसानों के वजूद की लड़ाई है, खेती को पूंजीपतियों की कैद से बचाना है

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There is a fight for the survival of the farmers, agriculture has to be saved from the captivity of the capitalists.
अवधनामा संवाददाता
अलीगढ़। (Aligarh) तीनों कृषि बिलों के खिलाफ किसानों की लडाई अभी लम्बी चलेगी। हमारा संघर्ष बहरी हिटलरशाही से हैं। किसान अपने बजूद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
उक्त विचार भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लगसमा में आयोजित किसान महापंचायत में प्रस्तुत किये।
उन्होंने अलवर में हुए हमले की घटना के दोषियों को आड़े हाथ लेते हुए सत्ता में मद भाजपा के अंधभक्तों को ललकारा कि सत्ताधारी हमें काले झंडों और डंडो से डराते हैं, जिस दिन किसान लाठी लेकर सडकों पर आ गया। उस दिन इनके विधायक -सांसद घरों में कैद हो जायेंगे।
मीडिया की बेवस हालत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने युवाओं से जनपक्षीय सोशल मीडिया विकसित करने का आह्वान किया।
 इससे पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा के वयोवृद्ध किसान नेता अखिल भारतीय किसान सभा के कामरेड राजसिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत को किसानी का प्रतीक हल भेंट किया। इस मौके पर उनके साथ मोर्चा के संयोजक शशिकान्त, भाकियू जिलाध्यक्ष व़िमल तोमर, बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन के गोकुल करन मंच पर उपस्थित रहे।_
किसान पंचायत में विशिष्ट वक्ता के रूप में पधारे संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेता युद्धवीर सिंह ने भी संबोधित किया। उनका कहना था कि हमें राम और विकास के नाम ठगा और लूटा गया। तीनों कृषि कानून ही नहीं तमाम ऐसे काले कानून देश की जनता पर थोपे जा रहे हैं। जो जनविरोधी है। आज कैमरा और कलम पूरी तरह सत्ता की कैद में हैं। मौजूदा सरकार पूंजीपतियों की सरकार है, वह पूंजीपतियों के करोड़ों के कर्ज माफ कर रही है। वहीं दूसरी ओर कर्जे में फंसा किसान आत्महत्या करने को मजबूर है।
पंचायत से एक दिन पहले देर रात तक पुलिस प्रशासन पंचायत की अनुमति नहीं देने की बात करता रहा।वहीं आज किसान पंचायत में उमडे जनसैलाव के सामने बेवस सुरक्षा व्यवस्था में दिखाई दिया।
मंच के बैनर पर डाक्टर अम्बेडकर, सावित्री बाई फुले, चौधरी चरण सिंह, सर छोटू राम, चौधरी महेन्द्र सिंह जैसी महान विभूतियों को सम्मान दिया गया।
क्षेत्र के मशहूर लोक कलाकार अजीत पीपलीऔर बुलंद शहर से रागिनी पार्टी कलाकारों ने अपनी गायकी से किसानों की आवाज बुलंद की।
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