एस.एन.वर्मा
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कामन वेल्थ गेम के सिलसिले में 215 सदस्यीय भारतीय टीम की अभी तक की उपलब्धियां बता रही है कि जिस तरह भारत के जीत का सिलसिला आगे बढ़ रहा है खिलाड़ी बेहतरीन नतीजे देने वाले है। दल में सम्भावित खिलाड़ियों की बड़ी संख्या दिख रही है जो आगे चलकर भारत की सफलता में चार चांद लगायेगे। नीरज चोपड़ा को चोटिल होने से भाला फेंक में एक सोना निश्चितरूप से कम रहेगा। इसबार खेल में शूटिंग नही रक्खा गया है, जिससे भारतीय उपलब्धि को धक्का लगेगा। क्योंकि शूटिंग में भारतीय एथलीट बहुत होनहार है। इससे भी भारत के मेडल टैली में कुछ कमी रहेगी।
फिर भी हमारे एथलीट भारत को गौरव दिलाने में पीछे नहीं है। 49 किलोग्राम वर्ग में महिला भरोत्तोलन में राष्ट्रमन्डल खेलों में नया रिकार्ड बनाते हुये भारत को पहला स्वर्ण दिलाया। पिछले राष्ट्रमन्डल खेलों में स्वर्ण पदक और टोकियो ओलम्पिक में रजत पदक दिलाने वाली मीराबाई चानू अपनी कामयाबी से भारतीय खिलाड़ियों में जोश भर रही हैं। सदा मुस्कराता रहने वाला चेहरा सबको खुशियां बांट रहा है। पिछले राष्ट्रमन्डल खेलों से तुलना करें तो पायेगे पिछले दो दशकों से भारतीय लगातार आगे बढ़ते जा रहे है। यही वजह है कि 2002 में मैनचेस्टर में हुये राष्ट्रमन्डल खेलों में भारत ने पचास से ज्यादा पदक पहली बार जीता था। उसके पदकों की कुल संख्या 69 थी। 2010 का राष्ट्रमन्डल खेल दिल्ली में हुआ था। घरेलू मैदान का लाभ लेते हुये भारतीय टीम ने 101 पदक जीते थे। पदक तालिका में दूसरे स्थान पर पहुंच गया था। यह भारत का अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
2010 में ग्लासगो में हुये खेलों में भारत को कुल 64 पदक मिले थे। 2018 में आष्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुआ था। यहां पर भारत को पिछले खेल से दो पदक ज्यादा 66 पदक मिले थे। यदि भारत में हुये राष्ट्रमन्डल खेल के पदकों के टैली को छोड़ दे तो भारतीय एथलीट उत्तरोत्तर खेलों में अपनी टैली बढ़ाते चले आ रहे है। यह दर्शाता है भारतीय खिलाड़ियों की प्रतिभा दिन ब दिन आगे ही बढ़ती जा रही है। सरकार भी खिलाड़ियों को भरपूर मदद दे रही है। खेल के लिये इनफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करती जा रही है। एथलीट भी विदेशी कोच रख कर अच्छी से अच्छी टेªनिंग ले रहे है।
गैर करें तो पायेगे भारतीय टीम में होनहारों की कमी नहीं है। खेल के हर डिसीप्लिन में प्रतिभावन खिलाडी है जो तैयार हो रहे है। मिसाल के तौर पर भारोत्तोलन मीराबाई के साथ जेरेमी लालरिनंगा और अचिन्ता शेउली ने भी स्वर्ण पदक जीता है। लान बाउल्स में भी महिला टीम ने अपना पदक पक्का कर लिया है। महिला हाकी टीम ओलम्पिक में सेमी फाइनल में दिलकश खेल दिखा कर हार के बावजूद लोगो का दिल जीत लिया है। यहां भी भारतीय हाकी टीम बेहतर स्थिति में दिख रही है कुछ बेहतर उपलब्धियों की आशा जगा रही है।
भारतीय दल भारोत्तोलन के साथ कुश्ती, बैडमिन्टन, मुक्केबाजी, टेबल टेनिस, हाकी और महिला क्रिकेट में मेडल देने की ओर अमादा दिख रही है। भारतीय एथलीट जिस तरह आगे बढ़ रहे है, उससे पदक जीतने की आशा भी बढ़ती जा रही है। भारतीय एथलीट कामयाबी का नया इतिहास लिखने की ओर मजबूत कदमों से बढ़ते जा रहे है। देशवासियों में एथलीटों ने ऊची उम्मीदें पैदा कर दी है। हर प्रतिस्पर्धा का बेसब्री से इन्तजार हो रहा है। इस समय भारत का वातावरण खेलमय हो गया है। जहां जाइये इसी की चर्चा है। जीत का सिलसिला जारी रहेगा।
जैसी की उम्मीद थी लान बाल्स महिला खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। में पहिली बार में विकास ठाकुर ने 96 किलो प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। यह उनका तीसरा मेंडल है। लान्स बाल्स में 92 साल बाद यह कमाल हुआ है। टेबल टेनिस में पुरूष टीम ने पांचवा स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाला। जीत का कारवां आगे बढ़ता जा रहा है।