Monday, September 22, 2025
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धरती से बढ़ रही चंद्रमा दूरी, धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी मिनट और घंटों की संख्या; क्या है वजह?

एक नए अध्ययन के अनुसार चंद्रमा हर साल 1.5 इंच की दर से पृथ्वी से दूर जा रहा है। इसका मुख्य कारण ज्वार-भाटे हैं जो चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से प्रभावित होते हैं। इस दूरी के बढ़ने से पृथ्वी के घूमने की गति धीमी हो रही है जिससे भविष्य में दिन लंबे हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान और दर्पणों से लेजर की मदद से यह दूरी मापी है।

पृथ्वी का विश्वसनीय खगोलीय साथी चंद्रमा, जो 4.5 अरब वर्षों से हमारे साथ है, अब हमसे दूर होता जा रहा है। मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

भौतिकी और खगोल विज्ञानी डॉ. स्टीफन डिकर्वी के अनुसार, चंद्रमा हर साल 1.5 इंच (3.8 सेमी) की दर से पृथ्वी से दूर हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी के घूमने की गति भी धीमी हो रही है, जिससे भविष्य में दिन लंबे हो सकते हैं।

क्या कभी चंद्रमा हमारे अधिक निकट था?

चंद्रमा का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था, जब युवा पृथ्वी पर मंगल ग्रह के आकार का एक प्रोटोप्लैनेट टकराया था, जिससे बहुत सारा पदार्थ अंतरिक्ष में फैल गया। अंततः उसी पदार्थ से चंद्रमा का निर्माण हुआ। यह प्रारंभ में पृथ्वी के बहुत करीब था। उस समय, चंद्रमा आकाश में बहुत बड़ा दिखाई देता था। जीवाश्म विज्ञानियों ने यह प्रमाणित किया है कि लगभग 70 करोड़ साल पहले, डायनोसार के समय के अंत में, पृथ्वी का एक दिन केवल 23.5 घंटे का था।

दूर क्यों होता जा रहा है चंद्रमा

डा. डिकर्बी ने बताया कि ज्वार-भाटे के कारण चंद्रमा हमसे दूर होता जा रहा है। पृथ्वी के ज्वार-भाटे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से अत्यधिक प्रभावित होते हैं, जिसके कारण हमारे महासागरों में दो उभार बनते हैं। एक उभार चंद्रमा की ओर होता है, क्योंकि यहीं पर गुरुत्वाकर्षण बल सबसे प्रबल होता है, जबकि दूसरा उभार चंद्रमा से दूर होता है, जहां यह बल सबसे कमजोर होता है। ये तरल उभार चंद्रमा के साथ बिल्कुल संरेखित नहीं होते। ये उसे थोड़ा आगे ले जाते हैं क्योंकि पृथ्वी घूम रही है और उन्हें आगे की ओर खींच रही है।

निकटवर्ती ज्वारीय उभार से आगे की ओर खिंचाव के कारण चंद्रमा की गति बढ़ जाती है, जिससे उसकी कक्षा का आकार बढ़ जाता है। जैसे-जैसे चंद्रमा की कक्षा बड़ी होती जाती है, चंद्रमा की गति बढ़ती जाती है। इसका अर्थ है कि चंद्रमा पृथ्वी से थोड़ा दूर हो जाता है।

ऐसे मापी गई दूरी

चंद्रमा की दूरी मापने की प्रक्रिया में विज्ञानी अंतरिक्ष यान और यात्रियों द्वारा वहां रखे गए दर्पणों से लेजर की मदद लेते हैं। प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने और वापस लौटने में लगने वाले समय को मापकर, विज्ञानी चंद्रमा की दूरी और उसमें होने वाले परिवर्तनों को सटीकता से निर्धारित कर सकते हैं। यह काफी जटिल प्रक्रिया है।

पृथ्वी पर धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी सेकेंड, मिनट और अंत में घंटों की संख्या

चूंकि पृथ्वी चंद्रमा की गति बढ़ाने का कार्य कर रही है, इसलिए पृथ्वी का घूमना धीमा हो जाता है, क्योंकि उसका संवेग चंद्रमा की ओर जाता है। इसका अर्थ है कि जैसे-जैसे चंद्रमा दूर होता जाएगा, एक दिन में सेकेंड, मिनट और अंततः घंटों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी। हालांकि, डॉ. डिकर्बी ने आश्वस्त किया कि यह प्रभाव बहुत धीमे होता है। वर्तमान में चंद्रमा पृथ्वी से 3,84,000 किमी की दूरी पर है और इसकी तुलना में 1.5 इंच प्रति वर्ष की दूरी केवल 0.00000001 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि लाखों वर्षों तक ग्रहण, ज्वार-भाटे और 24 घंटे तक चलने वाले दिन आते रहेंगे।

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