Saturday, May 11, 2024
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मणिपुर में महिलाओं से बर्बरता मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, डीजीपी को पेश होने का आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट महिलाओं के वीडियो के मामले सहित मणिपुर जातीय हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट केंद्र द्वारा दायर हलफनामे पर भी विचार करेगा।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसआइटी और उच्च स्तरीय समिति गठित करने के संकेत दिए थे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह सेवानिवृत महिला न्यायाधीश और क्षेत्र के विशेषज्ञ की एक कमेटी भी गठित करने पर विचार कर सकता है जो कि पीडि़तों से मिल कर उनसे बात कर बयान दर्ज करे उनके दुख दर्द समझे।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिए ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि वह मणिपुर वायरल वीडियो मामले में दो पीडि़त महिलाओं के बयान की रिकॉर्डिंग आज दोपहर 2 बजे मुख्य मामले की सुनवाई तक रोक दे। इसके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आदेश दिया की वह आज की सुनवाई के नतीजे का इंतजार करने के लिए सीबीआई को बताएं।
मणिपुर पुलिस ने कितनी गिरफ्तारियां की?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, अगर कानून और व्यवस्था तंत्र लोगों की रक्षा नहीं कर सकता है, तो उनका क्या होगा सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि हमने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया है। जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मणिपुर पुलिस ने कितनी गिरफ्तारियां की हैं, तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 250 गिरफ्तारियां की गई हैं और 12,000 गिरफ्तारियां निवारक उपायों के रूप में की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया की क्या पुलिस ने कोई गिरफ्तारी की है क्या इतने महीनों में डीजीपी ने यह जानने की परवाह की उन्होंने क्या कर लिया है यह उनका कर्तव्य है। क्या उन्होंने पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामलों के घटित होने और एफआईआर दर्ज करने में काफी चूक हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के डीजीपी को शुक्रवार को दोपहर 2 बजे अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए है।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि इन 6500 एफआईआर में से कितनी में शारीरिक क्षति, संपत्ति का विनाश, धार्मिक स्थल, घर, हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं? सभी की जांच को फास्ट ट्रैक तरीकों से करना होगा। इससे लोगों में आत्मविश्वास बना रहेगा।
दो महीने तक राज्य पुलिस के पास कोई कमान नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह साफ है कि दो महीने तक राज्य पुलिस के पास कोई कमान नहीं थी। हो सकता है कि उन्होंने प्रदर्शनात्मक गिरफ्तारियां की हों लेकिन वे प्रभारी नहीं थे। या तो वे ऐसा करने में असमर्थ थे या अनिच्छुक थे।
25 जुलाई तक कितनी एफआईआर दर्ज हुई
सुप्रीम कोर्ट ने उस रिपोर्ट को रिकॉर्ड किया है जो मणिपुर की ओर से दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि 25 जुलाई, 2023 तक 6496 एफआईआर दर्ज की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 150 मौतें हुईं, 502 घायल हुए, 5,101 मामले आगजनी की और 6,523 एफआईआर दर्ज की गईं। 252 लोगों को एफआईआर में गिरफ्तार किया गया और 1,247 लोगों को निवारक उपायों के तहत गिरफ्तार किया गया। स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 एफआईआर के सिलसिले में 7 गिरफ्तारियां की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी हुई है। मणिपुर में एक महिला को कार से बाहर खींचने और उसके बेटे की पीट-पीटकर हत्या करने की घटना का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना 4 मई को हुई थी और एफआईआर 7 जुलाई को दर्ज की गई थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि 1-2 एफआईआर को छोड़कर किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच बहुत सुस्त है, दो महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई और बयान दर्ज नहीं किए गए।
सीबीआई जांच का हो रहा विरोध
मणिपुर में हिंसा के दौरान महिलाओं की नग्न परेड की घटना को भयानक करार देते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अब तक दर्ज हुई करीब 6000 एफआइआर का अपराध और श्रेणीवार ब्योरा और की गई कार्रवाई की जानकारी साझा करने का आदेश दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वायरल वीडियो की दोनों पीडि़ताओं की ओर से मामले की सीबीआई जांच का विरोध किया गया। इसके अलावा एसआइटी गठित कर एसआइटी से जांच कराने की मांग की गई।

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