शरीफ की चीन यात्रा

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एस.एन.वर्मा
आर्थिक बदहाली और राजनैतिक अशान्ति तथा इमरान की वजह से चीन से पाकिस्तान के रिश्ते में आई खटास के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ चीन पहुंचे। शी जिन पिंग हाल ही में तीसरे टर्म के लिये भी स्वीकृति जीते है। इसके बाद चीन जाने वाले शाहबाज पहले विदेशी नेता हैं। पाकिस्तानी सेना और सरकार इस समय अमेरिका से सम्बन्ध सुधारने में लगे है ऐसे में प्रधानमंत्री की चीन यात्रा बहुआयामी हो गई है। इमरान अमेरिका को अपने शासन से उन्हें बाहर किये जाने का आरोप लगाते है और अमेरिका के खिलाफ भी कुछ बाते प्रचारित करते रहे है।
वीजिंग में जब शीतकालीन ओलिम्पिक का उद्घाटन फरवरी में हुआ था तब इमरान बीजिंग गये थे। वहां रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी पहुंचे थे। यहां पर शी और पुतिन ने पुष्टी की थी कि उनकी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है। इसके बाद इमरान खान रूस भी गये थे। इतफाक से रूस ने उसी समय यूक्रेन पर हमला शुरू किया था। अमेरिका रूस को शान्ति के लिये खतरा बता रहा है। पाकिस्तान चीन और अमेरिका से अपने सम्बन्धों में सन्तुलन बनाने में लगा हुआ है। उसके लिये चीन और अमेरिका अलग अलग राह पर चलने लगे है खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद।
इमरान और शरीफ दोनो के चीन यात्रा का एक ही है, मकसद आर्थिक मदद खान चीन से चाइना पाकिस्तान इकनामिक कारिडोर की शर्तो के लेकर फिर से परिभाषित करना चाहते थे क्योकि उन्हें और उनकी पार्टी को लगता है इसकी शर्ते पाकिस्तानी हित के अपेक्षाओं में फिट नहीं बैठती है। जबकि बेल्ट एन्ड रोड के दोनो प्रारभिक हिस्सेदार है। सीपीइसी का समझौता नवाज़ शरीफ ने ंकिया था। इमरान वित्तीय बेल आउट में भी कुछ बदलाव चाहते थे। चीन ने आर्थिक मदद देेने की भी बात कही थी साथ ही यह भी कहा था की इस बारें में और बातचीत की ज़रूरत है। चीन अपने हित वाली शर्तो में जिस देश को मदद देता है उसे बाधने में तत्पर रहता है। उस समय से इमरान और शी की बात यो ही लटकती रही।
अब शरीफ कुछ मजबूत बाते अपने पक्ष में लेकर चीन पहुंचे है। मसलन खान सरकार आईएमएम के पैकेज की शर्ते पूरी न कर पाने की वजह से और पैकेज नही पा रही थी। शाहबाज ने आईएफएम से पैकेज की निरन्तरता प्राप्त कर ली है। इतना ही नही पैकेज की राशि बढ़ा कर 6 बिलियन से 6.5 बिलियन डालर कर दिया गया है। पाकिस्तान इससे कर्ज़ अदायगी जो फेल हो रहा था उसे सुधार लेगा। इस तरह शहबाज कुछ सकारात्मक चीजें लेकर चीन पहुंचे है। जो उनके पक्ष को मजबूत करेगा।
वर्तमान सरकार ने सीपीइसी का फारौन्जक आडिट कराया है। इकसे अनुसार ग्वाडर के तहत 15 प्रोजेकट थे। उसमें से सिर्फ तीन प्रोजेक्ट 300 मिलियन डालर से पूरे किये गये है। जबकि दो बिलियन डालर की 12 स्कीमें अपूर्ण है। प्रधानमंत्री इन्हें पूरा कराना चाहते है। चीनी नागरिक की वहां पर हत्या ने अपूण प्रोजेक्ट पर संकट के बादल ला दिया है।
सीपीईसी पाकिस्तान के लिये गेम चेन्जर है। इससे बहुआयामी विकास पाकिस्तान में होगा। शाहबाज ने लिखा है चीनी नागरिकों और चीनी प्रोजेक्ट की सुरक्षा हमारी सर्वापरि प्राथमिकता है। हमारी सरकार दोषी का पता लगायेगी और सख्त सजा देगी। पर चीन इन सब बातो से अप्रभावित है। सीपीइसी की योजना से उदासीन है। शाहबाज को चीन को अश्वस्त करने के लिये करिश्मा दिखाना होगा।
शरीफ ने कहा है चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक हिस्सेदार है। हम इन सम्बन्धों को बढ़ाना चाहते है। चीन ने वर्तमान एफटीए के अन्तर्गत पाकिस्तान को चीन का मैनुफैक्चरिंग बेस बनाने को और औद्योगिक तथा सप्लाई चेन का नेटवर्क बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।
सीपीईसी की समस्याओं ने दोनो देशों के राजनितिक हिस्सेदारी को प्रभावित नहीं किया है। यूएन सेक्योरिटी कौन्सिल में चीन हमेशा पाकिस्तान के पक्ष लेता है। बाजेवा ने चीन से सैनिक सम्बन्ध मजबूत किया है।
शरीफ की चीन यात्रा में ये सब पहलू रहेगे। जबकि इमरान वर्तमान सरकार को आयातित सरकार कह रहे है। भारत की यूक्रेन में तटस्थ रहने की सराहना करते है और कहते है पाकिस्तान कि विदेशनीति स्वतन्त्र नहीं है। हलाकि पाक ने भी यूक्रेन युद्ध में किसी का पक्ष नहीं लिया है।
जबकि पाकिस्तान में राजनैतिक उथल पुथल चल रहा है ऐसे वहां की सेना के जनरल हमेशा अतिमहत्वाकांक्षी रहे है और राजनैतिक नेताओं को हटा खुद सत्ता अपने हाथ में ले लेते है, वहां ऐसे समय में शाहबाज का चीन दौरा कुछ आश्चर्य चकित करता है। शाहबाज चीन से इस विषय में भी बात कर अपनी स्थिति मजबूत और निरापद बनने की कोशिश करेगे। देखना है चीन कितना मददगार साबित होता है।
इमरान ने अपनी हत्या के प्रयास के लिये सेना आईएसआई और प्रधानमंत्री पर अरोप लगाया है। पर पुलिस ने एफआईआर सिर्फ हमलाकर्ता का नाम दिया है। प्रधानमंत्री कहा था सख्ती से जांच की जाय। यह सख्त जांच का नमूना है। इमरान ने अपनी यात्रा फिर शुरू कर दी है।

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