श्रद्धा और भक्ति मे ही धर्म इसका कोई साइड इफैक्ट नही : मुनिश्री

0
46

 

 

अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। क्षेत्रपाल मंदिर में मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने धर्म पिपासु लोगों को धर्मामृत पिलाते हुए विज्ञान और धर्म का विवेचन करते हुए कहा कि विज्ञान का कार्य खोज करना है इसे प्रयोजन से मतलब नहीं। दुनिया उसे चाहे या नहीं विज्ञान साइड इॅफेक्ट भी नहीे देखता कि इस बस्तु की खोज करने के बाद दुनिया के उपर इसका कोई गलत प्रभाव तो नहीं होगा । विज्ञान की सोच व्यापक नहीं है। प्राणी मात्र के लिए नहीं है अगर लाखों जानवरों को मारना भी पडे तो चलेगा मानव सुखी हो विज्ञान की सोच मानव वादी है। अगर मनुष्य सुखी होता है तो लाखों पशुओं की हिंसा से भी परहेज नहीं। उन्होंने कहा कि दूसरों के दुूख और आंसुओं पर तुम्हारा सुख नहीं होना चाहिए विज्ञान भूल जाता है कि मानवता के अभाव में मानव ही दुखी होगा । विज्ञान तुम्हें सुख तो दे रहा है पर दुख के साधनों को नहीं हटा रहा। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने मोवाइल का आविष्कार किया एक मोवाइल में ही पूरी दुनिया सिमट गई अच्छी बात है मोवाइल से व्यक्ति के रास्ते सुगम हो गये समय की बचत होने लगी घर बैठे ही तुम सारे काम मिनटों में कर लेते हो। लगता है विज्ञान ने दुनिया में बहुत विकास किया पर इसके साइड इफैक्ट कितने हो रहे हे। इसकी किरणें या वेव्स प्राणी मात्र के लिए कितनी हांनिकारक हैं अब लोग भी इसको समझने लगे हैं कई तरह की नई नई बीमारियां पैदा हो रही है जन्म से ही बच्चे बीमार हो रहे हैं पूरी दुनिया में विाान के आविष्कारों से होने वाली बीमारियों के कारण उथल पुथल मची हुई है। नई नई खोजों से सुख तो नजर आता है पर इसके पीछे होने वाले दुष्परिणामों से पूरी दुनिया चिंतित है। विज्ञान सुविधाये ंतो दे रहा है पर संपूर्ण प्राणियों को दुविधाओं में डाल रहा है। अगर विकास हुआ सुविधायें वढी तो अनचाहा डर क्यों । सबसे बडी चीज है जिसके विकास से विनाश हो, वह कैसी खोज। पर धर्म की सोच जो खोजा, वह मानव मात्र के लिए प्रयोजन भूत, धम्र पूरी मानवता के लिए हितकारी है। धर्म मानव वादी नहीं मानवता वादी है। स्वंय मिटना पडे तो मिट जाना पर कोई भी जीव दुखी न हो, जियो और जीने दो, महावीर का पूरी मानवता के लिए बहुत बडा सूत्र है। उन्होंने कहा कि धर्म तुम्हें सुख और सुविधायें नहीं देता पर दुखों से बचाता है। सुख दे पाउॅ या नहीं पर तुम्हें दुख से मुक्ति दिलाउॅगा । दुख बाहर से आता है कर्माधीन है उसे रोक सकते है। निर्जीण कर सकते है। पर सुख नहीं दे सकते क्यों कि दुख निमित्त के आधीन है पर से ही दुख मिलता है पर सुख अपने अंदर से प्रकट होता है इसलिए धर्म भले ही सुख सुविधायें न दे सके पर तुम्हारे दुखों को दूर सकता है । लगता है विज्ञान से सुख मिलता है पर सुख दिया ही नहीं जा सकता है क्या देगा कैसे देगा। क्यों कि सुख तो अपने ही अंदर है सुख वसतु में नहीं स्वयं में है। धर्म का कोई साइड इफैक्ट नही है। इसको करने से बीमारियां भी नहीं अनचाहा डर और भय भी नहीं। धर्म जिसके साथ उसका विकास धर्म जिसके द्वार उसका उद्धार। इसलिए हमें श्रद्धा और भक्ति से धर्म का ही सेवन करना चाहिए।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here