अवधनामा संवाददाता
नई दिल्ली। ऑरवेल इंस्टीट्यूट एंड इंटलेक्चुअल सोसाइटी के संस्थापक दीपक सिन्हा ने संस्था द्वारा आयोजित ‘बौद्धिक विश्व एवम कायस्थ समाज की भूमिका’ विषय पर बोलते हुए कहा कि कायस्थ समाज ने अपने मेहनत और प्रतिभा के बल पर इस देश और दुनिया के तरक्की में हर तरीके से योगदान दिया है।चाहे विवेकानंद हों या जगदीश चंद्र बसु हों ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में कायस्थों ने अपने बौद्धिक क्षमता से पूरे विश्व का सेवा किया है।आजादी के लड़ाई में सच्चितानंद सिन्हा,राजेंद्र बाबू और जय प्रकाश नारायण के योगदानों को नकारा नहीं जा सकता है।मगर आजादी के 75 साल बाद कायस्थ समाज आपसी फूट और बिखराव के कारण देश के राजनीतिक परिदृश्य से लगभग गायब ही हो गया है।श्री सिन्हा ने कायस्थ एकता के लिए ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि संस्था के अध्यक्ष राजीव रंजन जी कायस्थों का एकीकरण बिल्कुल उसी तरह से कर रहे हैं जैसे सरदार पटेल भारत का एकीकरण कर रहे थे।राजीव जी न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बसे हुए कायस्थों को एकसूत्र में लाने का कार्य बहुत ही समर्पित भाव से कर रहे हैं ताकि देश दुनिया के तरक्की में कायस्थ समाज का ज्यादा से ज्यादा योगदान हो सके।कायस्थ समाज से अलग अलग क्षेत्रों में काम कर रहे युवाओं को सम्मानित करके राजीव रंजन जी ने जिस तरीके से उनमें ऊर्जा और उत्साह का संचार किया है यह वास्तव में काबिल ए तारीफ है।श्री सिन्हा ने कहा कि राजीव रंजन के सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता से काफी प्रभावित हूं और उम्मीद करता हूं कि आगे भी चित्रांशों के लिए वे इसी जोश से काम करते रहेंगे।