शिवराज ने दूसरे दिन भी हाथ जोड़कर माफी मांगी, बोले-असुविधा हुई तो हमें क्षमा कीजिए
इंदौर। इंदौर में 3 दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। आयोजन के अंतिम दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 27 प्रवासी भारतीयों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना से काम में लगा है। आज कई चुनौतियां हैं, भारत विश्व के साथ मिलकर इनसे निपटने में लगा है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दूसरे दिन भी हाथ जोड़कर प्रवासी भारतीयों से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि असुविधा हुई तो हमें क्षमा कीजिए। केंद्रीय मंत्री एस. जयशंकर प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया।
मंच पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ सूरीनाम और गुयाना के राष्ट्रपति, केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, एमपी के राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे।
जैसा कि आप जानते हैं कि आजादी का अमृत महोत्सव आजादी के 75 साल पूरे होने पर मनाया जा रहा है। ये उन लोगों को समर्पित है जिन्होंने देश की तर्रची के लिए अब तक अहम योगदान दिया और जिन्होंने हमारे विजन आत्मनिर्भर भारत के लिए काम किया। अमृत काल में प्रवासी भारतीय विश्वसनीय सहयोगी हैं। हमारी सरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पहल पर प्रवासियों के हित में काम करने को प्रतिबद्ध है।
सीएम शिवराज सिंह ने प्रवासी भारतीयों को हुई असुविधा के लिए दूसरे दिन भी हाथ जोड़कर माफी मांगी। उन्होंने कहा कि असुविधा हुई तो हमें क्षमा कीजिए, हमारे प्यार को दिल में रखकर जाएं। पीएम मोदी की लोकप्रियता ही इतनी है कि हॉल छोड़ा पड़ गया, लेकिन हमारे दिल बड़े हैं। उन्होंने कहा कि जब तुम चले जाओगे तो याद बहुत आओगे, तुम बिन इंदौर सूना-सूना लगेगा।
सीएम शिवराज सिंह ने प्रवासी भारतीयों से अपील की है कि विदेश में भारतीय छात्र-छात्राओं के लिए एक हैल्प डेस्क बनाएं। जहां उनकी हर समस्या का समाधान हो जाए। सीएम ने कहा कि हमने फ्रेंड्स ऑफ एमपी पोर्टल बनाया है, जहां आप अपने प्रस्ताव, सुझाव दे सकते हैं। वहां आपको फौरन रिस्पॉन्स मिलेगा।
सिंधिया ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व में ये ऐलान हो चुका है कि भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता। इस वर्ष भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में भारत विश्व पटल पर उजागर हो रहा है। वो जी 20 की अध्यक्षता किस सोच और विचारधारा के साथ कर रहा है, वन अर्थ, वन फैमिली एंड वन फ्यूचर। वसुधैव कुटुंबकम की सोच। पूरा विश्व एक परिवार है।
उन्होंने प्रवासी भारतीयों से कहा कि भारत की इस ग्रोथ स्टोरी में भागीदार बनिए। प्रधानमंत्री के संकल्प को मजबूत करें, अपनी जन्मभूमि से जुड़े रहें और हमारे युवाओं को जो देश के बाहर काम कर रहे हैं, उनके लिए मेरा एक ही मंत्र है, एक ही संदेश है, एलईआर.. लर्न, अर्न एंड डू रिटर्न। क्योंकि आपकी डेस्टिनी यहीं है भारत माता के साथ, मुझे विश्वास है कि आपकी भागीदारी के साथ ये सदी भारत की होगी।
राष्ट्रपति बोलीं- हर क्षेत्र में भारतीय ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरा समुदाय
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हर क्षेत्र में भारतीय एक ऊर्जावान और आत्मविश्वास से भरा समुदाय है। यहां तक कि विश्व की लीडरशिप पोजिशन पर भी है। कठिन परिश्रम से हमने जीवन के हर क्षेत्र में चुनौतियों के बीच उपलब्धियां हासिल की हैं। कला, साहित्य, व्यापार और विज्ञान-प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में ऐसा है। भारत और भारत के बाहर की उपलब्धियों की प्रशंसा के लिए ये मंच नहीं है। बल्कि ये भारत के उस विश्वास को परिलक्षित करता है जिसमें ये विश्वास समाहित है कि हम ऊंची उड़ान भर सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि जिन प्रवासी भारतीयों को सम्मान मिला उन्हें शुभकामना देती हूं और कामना करती हूं कि ये भविष्य में आपको महान उपलब्धियों के लिए प्रेरित करेगा। अंतिम दो दशक में प्रवासी भारतीय सम्मेलन आपके और भारत के बीच संवाद का बेहतर माध्यम बनकर उभरा है।
प्रवासी भारतीयों की विदाई में शिवराज ने कही शायरी
सीएम शिवराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस आयोजन को लेकर मन भावविभोर है, प्रसन्नता से भरा है, लेकिन उदासी भी है, क्योंकि अब आप जाने वाले हैं। सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि तीन दिन आनंद, उत्सव और उमंग के रहे, 3 दिन कैसे कटे पता ही नहीं चला। अब मन ये सोच कर भारी हो रहा है कि आप चले जाओगे, यहीं रह जाओ ना।
सिंधिया बोले- भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारे प्रवासी भारतीयों ने देश का नाम दुनिया में रोशन किया है। किसी भी व्यक्ति की पहचान उनकी माटी और उसके देश से होती है। भारत का कोई भी सपूत, कोई भी पुत्र-पुत्री, विश्व के किसी भी कोने में रहे हों, वो भारत का सपूत पुत्र-पुत्री कभी भी भारतीयता से जुदा नहीं हो सकते। हमारे भारत की जनसंख्या 135 करोड़ नहीं, 138 करोड़ है, इसमें 3 करोड़ हमारे प्रवासी भारतीय शामिल है।
तब एयरपोर्ट से लौटाया था, अब दिया अवॉर्ड
कार्यक्रम में एनआरआई डॉ. दर्शन सिंह धालीवाल का भी सम्मान किया गया। अमेरिका में कारोबार कर रहे धालीवाल किसान आंदोलन के दौरान उस समय चर्चा में आए थे जब उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से लौटा दिया गया था। मूल रूप से पटियाला के रखरा गांव रहने वाले धालीवाल ने अवॉर्ड मिलने के बाद भास्कर से चर्चा में कहा- उस समय यह माना गया था कि मैं किसानों की मदद कर रहा हूं, लेकिन मैं उनकी मदद कर रहा था, न उनके हक में था और न ही उनके खिलाफ। जब तमिलनाडु में सुनामी आई थी तब भी मैंने मदद की थी। सम्मान को लेकर धालीवाल ने कहा प्रधानमंत्री ने मुझे बुलाकर चर्चा भी की।
केंद्रीय मंत्री सीतारमण बोलीं- भारत ग्लोबल ग्रोथ का सबसे पावरफुल इंजन है
इससे पहले महिला प्रवासियों के लिए हुए दूसरे सेशन में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- भारत ग्लोबल ग्रोथ का सबसे पावरफुल इंजन है। पिछले साल की तरह इस साल भी हमारी इकोनॉमी सबसे तेजी से बढ़ेगी। वित्त मंत्री ने कहा- जो निवेशक चीन में निवेश करना चाहते हैं, वे भारत को बड़े प्लेटफॉर्म के रूप में देख सकते हैं। चाइना प्लस वन कंट्री के रूप में भारत को देख सकते हैं। ये ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में मनाया जा रहा है। रागी, चावल, बाजरे से हम स्वस्थ भारत का निर्माण कर रहे हैं। भारत वसुधैव कुटुम्बकम की थीम पर आगे बढ़ रहा है। अमृत महोत्सव के अमृतकाल में हिस्सा लीजिए।
मंत्री प्रधान बोले- भारत पहले भी विश्व गुरु था
केंद्रीय स्किल डेवलपमेंट और इंटरप्रेन्योर मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की चौथी सदी में ही उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने ग्रहों की गणना कर दी थी। वाराह मिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य जैसे विद्वानों ने ग्लोबल मैप की परिकल्पना कर ली थी। ये हम सब मानते हैं, भारत विश्वगुरु था। फिर विश्व गुरु बनेंगे पर सैन्य शक्ति से नहीं, इंटलेक्चुअल ताकत से बनेंगे। हम अब जब भी विश्वगुरु बनने की बात करते हैं तो हमारी बातों में सैन्य ताकत से विश्व गुरु बनने की बात कहीं नहीं होती। इसमें इंटलेक्चुअल ताकत की बात करते हैं। इस सोच से नवाचार आता है। आप सब अनुभव करते होंगे कि दुनिया के कुछ हिस्सों में कुछ उत्पादकों के उत्पाद अप टू मार्क नहीं होते। ऐसे में इस 21वीं सदी में हमारा रोल महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रधानमंत्री ने नई एजुकेशन पॉलिसी लागू की है। इससे भारत ग्लोबल मैनपॉवर बनाने वाला देश बनेगा। प्रधान ने भारतीय उत्पादों और मैनपॉवर की क्वालिटी की बात करते हुए कहा, पड़ोस के देशों के माल के बारे में आज ये पूरी दुनिया के लोग चिंतित रहते हैं। कोविड के समय हमने देखा ग्ल्व्स, पीपीई किट आए, वे वैसे ही वापस कर दिए गए। भारत में ऐसे नहीं होता है। कोरोना के समय हम पीपीई किट नहीं बनाते थे आज हम इसके एक्सपोर्टर बन गए। हमें गेहूं खरीदना पड़ता था, पर अब हम एक्सपोर्ट करते हैं। कोरोना के समय 140 में से 40 देशों को मुफ्त में दवा सप्लाय की, ये भारत की ताकत है।