बिहार में सीबीआइ की नो एंट्री!

0
115

नई दिल्ली। बिहार में भी सीबीआइ को मिली सामान्य अनुमति (जेनरल कंसेंट) को वापस लेने की जमीन तैयार हो रही है। सीबीआइ किसी राज्य में अगर कोई छापेमारी या फिर अन्य कार्रवाई करती है तो उसे इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर सामान्य अनुमति अनिवार्य होती है। इसके बगैर सीबीआइ की कार्रवाई किसी भी राज्य में संभव नहीं है। सामान्य अनुमति आम तौर पर राज्याें द्वारा सीबीआइ को पूर्व से रहती है। इसके नहीं रहने की स्थिति में सीबीआइ किसी विशेष मामले का जिक्र कर राज्य से अनुमति लेती है। हाल के वर्षों में कुछ राज्यों ने सामान्य अनुमति वापस ले ली है।

सामान्य अनुमति को वापस ले सकती है महागठबंधन की सरकार

सियासी गलियारे में चर्चा है कि बिहार में भी सरकार सीबीआइ को दी गई सामान्य अनुमति को वापस ले सकती है। सत्ताधारी महागठबंधन द्वारा इन दिनों खुलकर कहा जा रहा कि सीबीआइ को टूल्स के रूप में  केंद्र सरकार इस्तेमाल कर रही है। हाल के दिनों में राजद के नेताओं के यहां थोक में सीबीआइ के छापे के बाद यह बात और मुखर हो गई है। वैसे महागठबंधन के नेता अभी यह कह रहे के सीबीआइ के छापे के बाद वे सत्याग्रह करेंगे और छापे को आई टीम को फूल भेंट करेंगे।

सीबीआइ को सामान्य अनुमति का यह है कानून

सीबीआइ का संचालन दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट (डीएसपीई) एक्ट 1946 के तहत होता है। इसके तहत यह प्राविधान है कि उसे किसी राज्य में अपनी कार्रवाई या फिर जांच आरंभ करने  के लिए अनिवार्य रूप से राज्य सरकार की अनुमति लेनी है। राज्य सरकार से सामान्य अनुमति के साथ-साथ वह केस आधारित सहमति भी ले सकती है।

इन राज्यों ने सीबीआइ को दी गयी सामान्य अनुमति वापस ले रखी है

दिलचस्प बात यह है कि सबसे 2015 में मिजोरम सरकार ने सीबीआइ को दी गयी सामान्य अनुमति को वापस ले लिया था। बाद के वर्षों में इसे फिर से बहाल किया गया। वर्ष 2018 के नवंबर में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआइ को दी गई सामान्य अनुमति को वापस ले लिया था। ममता बनर्जी ने यह फैसला उस समय आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चंद्रा बाबू नायडू द्वारा इस बाबत लिए गए निर्णय के तुरंत बाद लिया था। वैसे 2019 में जगन मोहन रेड्डी ने चंद्रा बाबू नायडू के फैसले को रद कर दिया था। जनवरी 2019 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सामान्य अनुमति को वापस ले लिया था। जुलाई 2020 में राजस्थान सरकार ने भी ऐसा ही किया था। केरल, झारखंड और महाराष्ट्र में भी ऐसा निर्णय लिया जा चुका है।

पूर्व में दर्ज मामले पर अनुमति की जरूरत नहीं

नियमों के मुताबिक पूर्व से दर्ज मामले में सीबीआइ को अपनी कार्रवाई में अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी। 2018 में आए न्यायालय के एक फैसले में यह भी कहा गया है कि अगर किसी राज्य ने सामान्य अनुमति को सीबीआइ से वापस ले लिया तो उस राज्य से जुड़े मामले का केस किसी अन्य राज्य में दर्ज कर सीबीआइ बगैर अनुमति के आगे बढ़ सकती है। यहां यह जरूरी है कि जिस राज्य में सीबीआइ मामला दर्ज करेगी उस मुकदमे का उक्त राज्य से कोई संबंध हो। इसी तरह वर्ष 2018 में संसद में संशोधन 17 ए के तहत यह व्यवस्था की गई है कि किसी सरकारी सेवक पर मुकदमा दर्ज करने के पहले सीबीआइ को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। यह संयुक्त सचिव या फिर उससे ऊपर के अधिकारियों के लिए होगा।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here