इंडियन आइडल शो, में  नेहा कक्‍कड़ के आंखों में क्यों भर आए आंसू

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Neha Kakkar's tears in Indian Idol show

मोहब्बत है क्या चीज, (Mohabbat kya hai chiz) इक प्यार का नगमा है, (Ek pyar ka naghma ha) मेघा रे मेघा रे मत जा तू परदेश,(Megha re megha re mat ja tu pardes)  जिंदगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी (zindaghi ki na tute ladi pyar kar le ghadi do ghadi) जैसे कई सदाबहार गाने आज भी बड़े खूब सुने जाते हैं| सोनी टीवी के इंडियन आइडल ऑडियंस (Indian Idol Audience ) से भरा पूरा शो गुजरे जमाने के गीतकार संतोष आनंद (Santosh Anand ) के एंट्री से इमोशनल हो गया| नेहा कक्‍कड़ (Kakkar) की आंखों में आंसू आ गए| वह फूट-फूट कर रोने लगी| ‘इंडियन आइडल’(‘Indian Idol’)  के मंच पर इस शाम लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ( shamLaxmikant-Pyarelal ) की हिट जोड़ी में से प्यारेलाल (Pyarelal ) जी भी मौजूद थे| आपको बताते हैं कौन हैं संतोष आनंद जी| (Santosh Anand )  इंडियल आइडल (‘Indian Idol’)  शो उनके एंट्री होते ही क्‍या कुछ माहौल रहा|

70 के दशक में संतोष आनंद . (Santosh Anand )  ने कई शानदार गीत लिखे. फिल्म रोटी (Roti) कपड़ा (Kapda) और मकान (Makan)  के लिए ‘और नहीं बस और नहीं’(aur nhi bus aur nhi)  और ‘मैं ना भूलूंगा’(Me Na bhulunga)  जैसे गानों को लिखा था| इसके लिए संतोष (Santosh ) को उनका पहला बेस्ट लिरिसिस्ट का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था. उसके बाद उन्‍होंने क्रांति, (Kranti) प्‍यास (Pyas) सावन (Sawanaa) और प्रेम रोग (Prem rog)  जैसी फिल्‍मों के लिए गाने लिखे. मोहब्‍बत क्‍य’ चीज (Mohabbat kya hai chiz)  के लिए संतोष आनंद (Santosh Anand )  को फिल्‍म फेयर अवार्ड मिला|

संतोष आनंज (Santosh Anand )  आज 81 साल के हैं| बूढ़े हो गए हैं. शारीरिक तौर पर लाचार हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं| इसी की वजह से कुछ साल पहले 214 में बेटा और बहू ने आत्‍महत्‍या कर लिया. इंडियन आइडल शो (Indian Idol Show) में उन्‍होंने बताया कि शादी के 10 साल बाद बेटा हुआ था. बताया जाता है कि आत्‍महत्‍या से पहले बेटा संकल्‍प ने 10 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा था|

इंडियन आइडल शो  (Indian Idol Show)  में संतोष आनंद (Santosh Anand )  ने कहा- बरसों बाद मैं मुंबई (Mumbai) आया हूं. अच्छा लग रहा है. एक उड़ते हुए पंक्षी की तरह मैं यहां आता था और चला जाता था. रात-रात भर जग के मैंने गीत लिखे. मैंने गीत नहीं, अपने खून और कलम से लिखे. इतना अच्छा लगता है वो दिन याद करके. आज तो मेरे लिए ऐसा लगता है जैसे दिन भी रात हो गया है|’

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