कर्नाटक तो अंगड़ाई है ,बिहार गोवा की भी लड़ाई है
काज़िम रज़ा शकील
आज कर्नाटक ने इतिहास रचते हुए येदुरप्पा सरकार का मात्र 55 घंटे की हुकूमत का इस्तीफा करा दिया इसमें मुख्यभूमिका जहाँ कांग्रेस की रही वहीँ जनतादल सेक्युलर का कांग्रेस के साथ कन्धा से कंधा मिलाकर तठस्थ रहना भी काफी महत्वपूर्ण रहा। इसमें यह भी बड़ा इतिहास रहा की कांग्रेस या जे डी एस के विधायक के टूटने की बात तो दूर निर्दलीय भी भाजपा के साथ जाने को तैयार नहीं हुआ और आखिर में 55 घंटे के मुख्यमंत्री को फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा देना पड़ा यह जहाँ अमित शाह और नरेंद्र मोदी के लिए उनके इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी शिकस्त रही वहीँ कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गाँधी के लिए सबसे बड़ी जीत साबित हुई क्योंकि राहुल गाँधी ने राष्ट्रिय उपापध्यक्ष से लेकर अध्यक्ष तक के सफर में की इतनी बड़ी कामयाबी हासिल नहीं की थी जिसका ऐतिहासक ज़िक्र किया जा सकता।
अब बात करते हैं कर्णाटक , बिहार और गोवा की जहाँ भाजपा ने जोड़तोड़ की राजनीती का इस्तेमाल करते हुए सरकार बनायीं लेकिन कर्णाटक में सरकार बनाने के नाटक में जो तेजस्वी यादव ने भाजपा के खिलाफ बिगुल बजाते हुए कांग्रेस में जोश भरने का काम किया उससे विपक्ष की एकता में ज़बरदस्त उत्साह दिखने लगा और अब यह कहा जाने लगा की कर्नाटक में तो मात्र अंगड़ाई से ही जीत हो गयी अब बिहार और गोआ की लड़ाई की शुरूआत है। इन सभी जगह सरकार बनाने का दावा पेश भी कर दिया गया लेकिन इतना आसान नही भी नहीं है इसके लिए फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ेगा। और यह अग्ग्रेसिव क़दम ही भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकता को 2019 के लोकसभा के आम चुनाव में मज़बूत करने में मुख्य भूमिका अदा करेगा। अगर असम्भव सी लगने वाली बिहार और गोवा और मेघालय की चुनौती में किसी प्रदेश में कामयाबी मिल भी जाती है तो 2019 भाजपा के लिए चुनौती बनकर उभरेगा।