पुरानी कहावत है कि किसी काम को धैर्य और लगन के साथ किया जाए, तो निश्चित सफलता मिलती है। इसे साबित कर रहे हैं घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहे मुरहू प्रखंड की बिंदा पंचायत के रहने वाले बिमल सोय। कम पढ़े-लिखे बिमल पर विपत्ति का पहाड़ उस समय टूट पड़ा, जब उसके पिता जोहन सोय की मौत हो गई।
पिता के निधन के बाद छह परिवारों के भरण-पोषण का भार बिमल के कंधों पर आ गया। मुरहू प्रखंड की बिंदा पंचायत चारों ओर जंगलों और पहाड़ों से घिरी हुई है। बिंदा पूरी तरह जनजातीय बहुल गांव है। परिवार के पास थोड़ी‘बहुत जमीन है, जहां सिर्फ धान की ही फसल हो पाती है। सिर्फ खेती-बारी के भरोसे छह सदस्यों वाले परिवार की उदर पूर्ति में बिमल को भारी परेशानी हो रही थी।
बिमल का कहन है कि कई बार उसने रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाने का मन बनाया, पर परिवार की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था। इसके कारण वह गरीबी में ही जीवन यापन करने को विवश था। गांव की दूरी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर है। घोर जंगली इलाके में होने के कारण गांव के लोगों को न सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी मिल पाती थी और नहीं उनका लाभ गांव के लोग ले पाते हैं। बिमल सोय ने बताया कि उसे अपने दोस्तों से मुरूह क्षेत्र में काम करनेवाल स्वयसंवी संस्था लीड्स के बारे में जानकारी मिली। बाद में लीड़स के सहयोग से गांव में ग्राम सभा की बैठक स्वच्छ ऊर्जा समिति का गठन किया गया और बिमल सोय को सर्वसम्मति से ऊर्जा मित्र चुन लिया गया।
बिमल सोय ने लीड्स संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त कर उसने अपने घर में ही स्वच्छ ऊर्जा केंद्र खोल लिया और छोटे-मोटे विद्युत उपकरणों की मरम्मत करने लगा। बाद में वह बल्ब और टॉर्च की एसेंबलिंग भी करने लगा। बिमल अपने केंद्र को और बड़े रूप मे स्थापित करने की सोच रहा था, लेकिन इसके लिए उसके पास न पूंजी थी और न ही उसे इसका प्रशिक्षण मिला था।
बिमल ने बताया कि उसने रेस परियोजना समन्वयक के नाम से आवेदन तैयार किया और संस्था में जमा किया। संस्था द्वारा जब टेक्निकल ट्रैनिंग का आयोजन किया गया, तो बिमल सोय को भी ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया। बिमल ने ट्रेनिंग लेकर अपनी तकनीकी क्षमता को बढ़ाया। ट्रेनिंग के पश्चात संस्था द्वारा युवा उद्यमी बिमल सोय को दस हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई। दास हजार की पूजी मिलने के बाद धीरे-धीरे उसने अपने व्यवसाय को बढ़ाना शुरू किया। वह रांची, खूंटी आदि जगहों से स्वच्छ ऊर्जा सं संबंधित उपकरणों की खरीद कर एनकी एसेंबलिंग करने लगा। साथ ही मरम्मत का कार्य भी चल निकला। बिमल ने कहा कि आज वह हर महीने अच्छी कमाई कर लेता है और उससे आर्थिक तंगी का सामना करना नहीं पड़ रहा है। उसने कहा कि आज वह जिस मुकाम पर है, उसमे स्वयंसेवी संस्था लीड़स का बहुत बड़ा योगदान है।