मनरेगा योजना में मृतकों और बाहरी लोगों के साथ नाबालिगों ने किया काम

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान 

मौदहा हमीरपुर।बीजेपी सरकार में सडकों का निर्माण जितनी तेजी से हो रहा है तो वहीं भ्रष्टाचार उससे भी अधिक तेजी से अपने पैर पसार रहा है जिसके चलते ब्लॉक क्षेत्र में तीसरा बड़ा घोटाला सामने आया है ऋ केंद्र सरकार की गरीबी उन्मूलन और पलायन रोकने के उद्देश्य से बनाई गई महत्वपूर्ण योजना मनरेगा में भी ब्यूरोक्रेसी की मिली भगत से नये नये तरीक़े के घोटाले सामने आ रहे हैं।जिसमें बालमजदूरों के साथ ही मृतक और जेल में बंद लोगों के साथ ही बाहरी लोगों ने मनरेगा योजना के तहत हो रहे काम में हिस्सा लिया जिसका भुगतान भी उन्हें उनके या किसी दूसरे के खाते में किया गया है।हालांकि इस सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी ने जांच की बात कही है लेकिन पिछले घोटालों की जांच अभी भी पूरी नहीं होने के साथ ही घोटालों में नाम आने के बाद सरकार द्वारा पुरस्कृत किए जाने के चलते निष्पक्ष जांच की उम्मीद बहुत ही कम है।
       छिमौली आवास घोटाले के बाद हुए खण्डेह में मनरेगा योजना के तहत मुर्दों से मजदूरी कराने के बाद उनके नाम का भुगतान करने की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि एक और बडे घोटाले की परतें खुलना शुरू हो गई हैं हालांकि छिमौली और खण्डेह के मामलों में सम्बंधित के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था जो अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है इसी बीच एक बडे मनरेगा घोटाले का मामला सामने आ गया।
      विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम सिजनौडा निवासी अमित कुमार ने एक एनजीओ के सहयोग से मुख्यमंत्री सहित अन्य आलाधिकारियों को पत्र नोटरी शपथपत्र के साथ भेजा है जिसमें बताया गया है कि ग्राम पंचायत में बीते काफी समय से मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिसके चलते ऐसे लोगों को ग्राम प्रधान और सचिव ने मनरेगा मजबूर दिखाकर काम करवाया है जो वास्तव में गांव के निवासी नहीं है।इतना ही नहीं पत्र में जिन नामों को दर्शाया गया है उनमें से काफी नाम नाबालिग बच्चों के हैं जिनकी उम्र आठ से चौदह साल के बीच बताई गई है।अनियमितता का अंत यहीं नहीं होता है।एक मनरेगा मजदूर तो हत्या के आरोप में काफी सालों से जेल में बंद है।जबकि काफी मजदूर गांव से बाहर रहते हैं।
   अमित कुमार ने शिकायत मे बताया कि सभी के जाबकार्ड बने हुए हैं और सभी की मनरेगा योजना के तहत किए गए कामों में हाजिरी चढी हुई है।इस सम्बंध में शिवशंकर ने बताया कि उसके साथ उसके भाई और बहिन का जाबकार्ड बना हुआ है लेकिन उन्होंने कभी भी मजदूरी नहीं की है जबकि उसका भाई सूरत में मजदूरी करता है और उनकी हाजिरी का लगभग तीन हजार रुपये किसी और के खाते में गया है।जबकि कैलाश पुत्र छिददू ने बताया कि उनके जाबकार्ड बने हुए हैं उन्होंने मजदूरी नहीं की लेकिन ग्राम प्रधान ने पांच सौ रुपये देकर अंगूठा लगवा लिया है अब पैसा कहां गया उन्हें नहीं मालूम, इसी तरह श्रीमती पत्नी प्रहलाद और प्रहलाद पुत्र सूरज बली ने बताया कि उन्हें भी ग्राम प्रधान ने पांच सौ रुपये देकर अंगूठा लगवाया है जबकि उन्होंने मजदूरी नहीं की,अब पैसा कहां गया उन्हें पता नहीं है।इतना ही नहीं गांव के भगवान दीन की हत्या के आरोप में जेल में बंद सौखीलाल ने भी मनरेगा योजना के तहत मजदूरी कर पैसे प्राप्त किए हैं।जबकि पत्र में चालीस बीघा या इससे अधिक खेती करने वाले काश्तकारों को भी मनरेगा मजदूर बताया गया है।इस सम्बंध में ग्राम प्रधान प्रहलाद ने बताया कि उन्हें ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है और यह जांच का विषय है।जबकि इस सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी भैरव प्रसाद ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है और उन्होंने इसकी जांच एडीओ पंचायत को सौंपी है जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।सबसे बड़ी बात यह है कि शिकायत कर्ता और एनजीओ विकास खण्ड के अधिकारियों द्वारा जांच किए जाने से संतुष्ट नहीं है और उन्होंने किसी समिति से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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