ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने संभल जामा मस्जिद प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन और न्यायपालिका के जल्दबाजी में लिए गए फैसले देश की अल्पसंख्यक आबादी को संकट में डाल रहे हैं।
जल्दबाजी में हुआ सर्वे और कार्रवाई
मौलाना ने बताया कि 19 नवंबर को संभल की सिविल कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। केवल दो घंटे के भीतर एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दे दिया गया। आदेश जारी होते ही सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया और एसएसपी कृष्ण कुमार विष्णोई इस मामले को अन्य सभी प्राथमिकताओं से ऊपर रखते हुए तुरंत सक्रिय हो गए।
उन्होंने कहा, “24 नवंबर को फिर से सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंची। ऐसा लग रहा है कि प्रशासन और पुलिस के पास अन्य कोई काम ही नहीं बचा है। जल्दबाजी में लिए गए इन फैसलों से तनाव बढ़ रहा है।”
मुसलमानों के सब्र का नाजायज फायदा
मौलाना अदनान ने कहा कि मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद के फैसले पर सब्र दिखाकर देश में शांति बनाए रखी। लेकिन अब उसी सब्र का नाजायज फायदा उठाया जा रहा है। जहां मन करता है, वहां एक याचिका दाखिल कर दी जाती है कि मस्जिद नहीं, मंदिर है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को ऐसी याचिकाओं पर सख्ती दिखानी चाहिए और सुनवाई से पहले इनकी सच्चाई जांचनी चाहिए।
पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग
मौलाना ने कहा कि संभल में पुलिस की गोलीबारी में कई मुसलमानों की मौत हुई। उन्होंने इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह घटनाएं केवल अल्पसंख्यकों के लिए नहीं, बल्कि देश की कानून व्यवस्था के लिए भी खतरनाक संकेत हैं।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी
आरएसी प्रमुख ने कहा कि वह वरिष्ठ अधिवक्ताओं से परामर्श कर इस मामले में कानूनी कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से भी अपील की कि ऐसी याचिकाओं और फैसलों पर रोक लगाई जाए, जो कानून का नाम लेकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रही हैं।
देश में अमन बहाल रखने की अपील
उन्होंने कहा, “आरएसी इस साजिश को देख रही है। हम कानूनी तरीके से इसका जवाब देंगे ताकि देश में अमन और भाईचारा कायम रहे।
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