- पिपराईच में 31 मार्च 2017 तक था लाइसेंस, जबकि शहरी इलाकों में बिना लाइसेंस प्रशासन की मेहरबानी से खुल रही दुकाने
मनव्वर रिज़वी/शमशाद
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गोरखपुर। अभी 31 मार्च तक यह कारोबार वैध था, क्योंकि इनके पास 31 मार्च 2017 तक नगर पंचायत पिपराईच की ओर से जारी लाइसेंस था लेकिन अब डीएम के आदेशानुसार नगर पंचायत पिपराईच में 2004 से चल रही वधशाला को बंद करा दिया गया, जिससे दुकानदारों मॆ आक्रोश है । मीट विक्रेताओं ने बताया की आज नगर पंचायत पिपराईच ने कर्मचारी के माध्यम से सूचना भेजा की आप सब मीट काटना बंद कर दे क्योंकि ये वधशाला नही है । जबकि वहां मुख्य गेट पर लगे लोकार्पण के पत्थर पर लिखी इबारत को सच माने तो 2004 में नगर पंचायत पिपराईच ने उस स्थान को नवनिर्मित वधशाला बताया गया है। वहाँ दुकानदारों को मीट काटने के लिए चौदह दुकानें भी उपलब्ध कराई गई थी । वहां के दुकानदारों ने ये बताया की हर वर्ष पिपराईच नगर पंचायत हम सब से वधशाला के नाम का टैक्स वसूल कर रसीद दिया करता था लेकिन इस बार न तो टैक्स लिया न ही रसीद मिली। पिपराईच कस्बे से जुड़ा कई गाँव के लोगों की इस जगह से रोज़ी रोटी जुड़ी हुई है। चूँकि सप्ताह में यहाँ दो दिन बाजार लगते है और हजारों की संख्या मॆ लोग यहाँ बाजार करने आते है । हालाँकि आज रविवार को भी गोरखपुर के शहरी इलाकों में बकरे और मुर्गे के मीट की तमाम दुकाने खुली हुई हैं, जबकि इनके पास लाइसेंस के नाम पर कुछ भी नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शहरी इलाके में लगने वाली ये दुकाने वैध है ? अगर ये दुकाने वैध हैं तो इनको लाइसेंस किसने जारी किया।