आर्थिक अपराध करके विदेश भागने वालों की संपत्ति होगी जब्त, अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी
आर्थिक अपराध करके विदेश भागने वालों की संपत्ति जब्त करने के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. कानून के मुताबिक 100 करोड़ से ऊपर का आर्थिक अपराध कर भागने वाले छह हफ्ते में भगौड़ा घोषित किए जाएंगे. नीरव मोदी, मेहुल चोक्सी और विजय माल्या जैसे भगौड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
इस अध्यादेश के जरिए आरोपियों को छह हफ्ते के भीतर भगौड़ा घोषित करना संभव हो सकेगा. साथ ही मुमकिन है कि आरोप साबित होने के पहले ही ऐसे भगौड़ों की संपत्ति जब्त करने और बेचने की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी. ध्यान रहे कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों से जुड़ा विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया गया, लेकिन लगातार व्यवधान की वजह से ये पारित नहीं हो सका. इसी के मद्देनजर सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया.
पीएनबी घोटाले के बाद इस तरह के कानून को लेकर बहस तेज हुई. वैसे तो इस नए कानून के मसौदे को बीते साल मई में ही वित्त मंत्रालय ने तैयार कर लिया था जिसके बाद इस पर रायशुमारी की गयी और फिर विधेयक संसद में पेश किया गया. नए कानून के जरिए सख्ती के संकेत 23 फरवरी को देशी-विदेशी उद्योगपतियो के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में दे दिए थे. उन्होंने कहा था, “मैं स्पष्ट करना चाहूंगा, कि ये सरकार आर्थिक विषयों से संबंधित अनियमितताओं के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेगी. अब इसी का नतीजा नया अध्यादेश है.
अध्यादेश के तहत प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत एक विशेष अदालत गठित किए जाने का प्रावधान है. ऐसे विशेष अदालत में वही मामले लिए जाएंगे जिनमें से 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम शामिल है. ऐसा इसीलिए किया गया है, ताकि विशेष अदालत में मुकदमों की भीड़ नहीं लगे.
यह अदालत बैंक या वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी करने जैसे मामलों में आरोपी को भगौडा घोषित करेगा. एक भगौड़ा अपराधी वे है जिसके खिलाफ अधिसूचित अपराध के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है, लेकिन वो व्यक्ति मुकदमे से बचने के लिए देश से भाग चुका है. यही नहीं यदि ऐसा कोई व्यक्ति मुकदमे का सामना करने के लिए देश वापस लौटने से इनकार कर दे तो वह भी भगोड़े अपराधी की श्रेणी में आएगा.
भगौड़ा घोषित किए जाने के बाद उस व्यक्ति की देश में स्थित सारी संपत्ति सरकार के हाथों में आ जाएगी और इस पर किसी भी तरह की देनदारी नहीं होगी. कोर्ट के आदेश पर ऐसा व्यक्ति या ऐसी कंपनी जिसमें उस व्यक्ति की बड़ी हिस्सेदारी है, वो प्रबंधन की भूमिका में है, उस संपत्ति पर दिवानी दावा नही ठोक सकेगा. यदि भगौड़ व्यक्ति देश वापस आकर सरेंडर कर देता है तो ऐसी सूरत में प्रस्तावित कानून के बजाए प्रचलित कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
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