डिफेंस एक्सपो का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्धघाटन किया

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लखनऊ में शुरू हुए डिफेंस एक्सपो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधुनिकतम हथियारों का जायजा लिया. पीएम मोदी ने यहां हथियारों को देखा और वर्चुअल शूटिंग रेंज में निशाना भी लगाया. एक्सपो में मौजूद एक्सपर्ट्स ने पीएम मोदी को हथियारों के बारे में जानकारी दी फिर यहां पर नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल शूटिंग रेंज में गोलियां भी चलाई.

दरअसल वर्चुअल शूटिंग रेंज विज्ञान की वो करामात है जहां आप बिना गोलियां बर्बाद किए निशाना लगा सकते हैं और अपनी क्षमता भी जांच सकते हैं. सैनिकों के लिए ये ट्रेनिंग बेहद जरूरी है.

डिफेंस एक्सपो PM का सम्बोधन-

इस बार एक हज़ार से ज्यादा Defence Manufacturers और दुनियाभर से 150 Companies इस एक्स्पो का हिस्सा हैं।
इसके अलावा 30 से ज्यादा देशों के डिफेन्स मिनिस्टर्स और सैकड़ों Business Leaders भी यहां उपस्थित हैं: PM

आज का ये अवसर भारत की रक्षा-सुरक्षा की चिंता करने वालों के साथ-साथ पूरे भारत के युवाओं के लिए भी बड़ा अवसर है। मेक इन इंडिया से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं डिफेंस सेक्टर में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे: PM


https://twitter.com/IPSinghSp/status/1225023830126559232?s=20


दुनिया में जब 21वीं सदी की चर्चा होती है तो स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ़ ध्यान जाता है। आज का ये डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का सबूत है: PM

रक्षा और इकोनॉमी जैसे विषयों की जानकारी रखने वाले ज़रूर इस बात को जानते हैं कि भारत सिर्फ़ एक बाज़ार ही नहीं है। भारत पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर है: PM

टेक्नॉलॉजी का गलत इस्तेमाल हो और Terrorism हो या फिर Cyber Threat, ये पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। नए Security Challenges को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नॉलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है: PM

Artillery Guns हों, Aircraft Carrier हों, Frigates हों, Submarines हों, Light Combat Aircrafts हों, Combat Helicopters हों, ऐसे अनेक साजो-सामान आज भारत में ही बन रहे हैं: PM

अब हमारा लक्ष्य ये है कि आने वाले 5 वर्ष में डिफेंस एक्सपोर्ट को 5 बिलियन डॉलर यानि करीब 35 हज़ार करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाए: PM

दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, दुनिया की दूसरी बड़ी सेना और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, कब तक सिर्फ और सिर्फ Import के भरोसे रह सकता था: PM

आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं- Research and Development की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन। बीते 5-6 वर्षों में हमारी सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है: PM

मैं समझता हूं कि उपयोगकर्ता और उत्पादक यानि User और Producer के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है: PM

पहले डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में प्राइवेट सेक्टर को टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत समस्याएं आती थीं। इसके लिए अब रास्ते खोले गए हैं और DRDO में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के Transfer Of Technology की नीति बनायी गई है: PM

ऐसे कदमों से World Supply Chains में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी। दुनिया के टॉप डिफेंस मैन्युफेक्चर्रस को अधिक कंपिटेंट इंडियन पार्टनर्स मिलेंगे: PM

विशेषज्ञों ने बताया कि पीएम जहां मौजूद थे वो वर्चुअल शूटिंग रेंज था. वर्चुअल शूटिंग रेंज में निशानेबाज या सैनिक बिना युद्ध में गए युद्ध जैसा रोमांच महसूस कर सकते हैं और अपने युद्ध कौशल का आकलन कर सकते हैं.

एक रोमांचक अनुभव में पीएम मोदी ने यहां पर अपने हाथ में राइफल थामी और खुद निशाना लगाया.इससे पहले डिफेंस एक्सपो को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि रक्षा क्षेत्र में भारत ने स्वदेशी तकनीक का विकास कर रहा है. पीएम ने कहा कि आज ISRO भारत के लिए, पूरी दुनिया के लिए, Outer Space के रहस्यों को ढूंढ़ रहा है, तो भारत का DRDO इन संपत्तियों को गलत ताकतों से बचाने के लिए रक्षा की दीवार खड़ी कर रहा है.

पीएम ने कहा कि भारत आज से नहीं बल्कि हमेशा से विश्व शांति का भरोसेमंद पार्टनर रहा है. उन्होंने कहा कि दो विश्व युद्ध के दौरान हमारा डायरेक्ट स्टेक ना होते हुए भी भारत के लाखों जवान शहीद हुए थे. उन्होंने कहा कि आज दुनियाभर में 6 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक संयु्क्त राष्ट्र शांति सैनिक का हिस्सा हैं.

 

भारत की रक्षा जरूरतों और चुनौतियों की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि टेक्नॉलॉजी का गलत इस्तेमाल हो और टेररिज्म हो या फिर साइबर खतरा, ये पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं. उन्होंने कहा कि नई सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नॉलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं है.

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं- रक्षा और अनुसंधान की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन. बीते 5-6 वर्षों में हमारी सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है.

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