Sunday, April 28, 2024
spot_img
HomeMarqueeइंसानियत की मिसाल क़ायम करता ऐतिहासिक बावन डंडे का ताजिया

इंसानियत की मिसाल क़ायम करता ऐतिहासिक बावन डंडे का ताजिया

उत्‍तर प्रदेश के सीतापुर में कौमी एकता के लिहाज से 52 डंडे के ताजिये का खास महत्व है. खैराबाद में बरसों पहले ताजिये की यह परंपरा बहुत ही अकीदत और शिद्दत के साथ शुरू हुई थी, जो आज भी पूरी अकीदत और शिद्दत के साथ बरकरार है.

 

इस ताजियेदारी में हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग बहुत अकीदत के साथ शामिल होते हैं, जिसके चलते इसे गंगा-जमुनी तहजीब की बड़ी मिसाल माना जाता है. मुगल शासन काल में अवध की राजधानी कहा जाने वाला खैराबाद कस्बे को सूफियों की नगरी कहा जाता है.

यूं तो यहां बड़ी तादाद में हर रोज लोग जियारत के लिए आते हैं, लेकिन बावन डंडे की ताजियेदारी के दिन अकीदतमंदों की संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है. ताजिये के बारे में बताया जाता है कि कभी खैराबाद कस्बे में बावन मोहल्ले हुआ करते थे. हर मोहल्ले की भागीदारी तय करने के लिए सभी मोहल्लों से एक एक डंडा लाकर 52 डंडे का ताजिया तैयार किया गया.

 

इस ताजियेदारी में सभी लोग शिरकत कर सकें इसलिए इस ताजिये को उठाने की तारीख दसवीं मोहर्रम के बजाय ग्यारहवीं मोहर्रम मुकर्रर की गई. इसे मोहल्‍ला रौजा दरवाजा से उठाकर पूरे कस्बे में घुमाया जाता है.

नगर का ऐतिहासिक 52 डंडे का ताजिया कौमी एकता का प्रतीक है। ताजिया बनकर तैयार है, इसे रौजा दरवाजा स्थित युसुफ खान गाजी की दरगाह पर अंतिम रूप दिया जा रहा है। नवीं मोहर्रम की रात दरगाह के बाहर चबूतरे पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा जाएगा। दस मुहर्रम की शाम पांच बजे ताजिया चबूतरे से उठकर रात बारह बजे दादा मियां की मजार के पास रखा जाएगा।

 

ग्यारह मुहर्रम को सुबह दस बजे इस स्थान से उठाकर कदीमी रास्तों से ले जाकर देर शाम कर्बला पहुंचेगा। जहां देर शाम लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाएगा। 52 डंडे के ताजिया की शुरुआत यहां सैकड़ों वर्ष पूर्व आए प्रथम मुगल युसुफ खान गाजी ने कराई थी। खैराबाद में 52 मोहल्ले हैं। जहां विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। हर मोहल्ले का एक डंडा बतौर प्रतीक मानकर ताजिया में शामिल किया गया।

 

इसका मकसद नगर की गंगा जमुनी संस्कृति व एकता को मजबूत करना था। 52 डंडे के ताजिया जुलूस में विभिन्न धर्मों के लोग आज भी श्रद्धा के साथ शामिल होते आ रहे हैं। यही कारण है कि 11 मुहर्रम को 52 डंडे के ताजिया को देखने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से लाखों लोग खैराबाद में जमा होते हैं। ऐतिहासिक 52 डंडे का ताजिया भाईचारे को आज भी मजबूत कर रहा है। ताजिया देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। यह ताजिया सछ्वाव का प्रतीक बना है।

वाहिद हुसैन 52 डंडे का ताजिया खैराबाद की शान है। हर मोहल्ले का इसमें प्रतिनिधित्व है, सभी को सम्मान दिया गया है। सैकड़ों वर्ष से यह परंपरा आज भी कायम है।

फरीद बेग आज हमारी उम्र 80 वर्ष है। बचपन में अपने पिताजी के साथ ताजिया देखने जाते थे। यह एकता का प्रतीक है। लोगों में ताजिया को कंधा देने की होड़ रहती है।

अयोध्या प्रसाद मिश्र 52 डंडे का ताजिया भाईचारा व प्रेम को आज भी मजबूत कर रहा है। सभी धर्मों के लोग कार्यक्रम में आते हैं। यह देखकर गर्व की अनुभूति होती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular