भारत चीन से वापस लेगा 1962 युद्ध में खोई जमीन, बीजेपी सांसद ने लोकसभा में उठाया मुद्दा

0
289

नई दिल्ली। भाजपा के लोकसभा सदस्य प्रतापराव पाटिल ने मंगलवार को कहा कि भारत के लोगों को अब विश्वास हो गया है कि मोदी सरकार 1962 के युद्ध में चीन से खोई जमीन वापस ले लेगी। शून्य काल के दौरान बोलते हुए, पटेल ने लोकसभा को बताया कि संसद ने 14 नवंबर, 1962 को एक प्रस्ताव पारित किया था कि भारत भूमि को वापस ले लेगा, लेकिन 60 वर्षों में इसे हासिल नहीं कर सका। पाटिल ने कहा कि जब 2014 में भाजपा सत्ता में आई तो सरकार ने पाकिस्तान में आतंकवादियों को मार गिराया और गलवान और तवांग में चीन को करारा जवाब दिया।
नांदेड़ के सांसद प्रतापराव पाटिल ने कहा, भारतीयों को अब भरोसा है कि मोदी सरकार 1962 में खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए किए गए वादे को पूरा करेगी। पाटिल ने कहा, मैं प्रधानमंत्री से 14 नवंबर, 1962 को भारतीय संसद द्वारा पारित प्रस्ताव को पूरा करने का अनुरोध करूंगा। जब भाजपा सांसद ने चीन समाधान का मुद्दा उठाया, तो कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री से सदन में आने और चीनी सेना द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने के नवीनतम प्रयासों के बारे में सूचित करने की मांग की।
इस युद्ध को भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाता है। चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ ये युद्ध विवादित हिमालय सीमा युद्ध के रुप में जाना जाता है। बता दें चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी थी। भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पूर्वी भाग के उत्तर में थी।
चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये थे और इन हमलों को ही 1962 के युद्ध रुप में जाना जाता है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here