हाल ए वार्ड- खुद के वजूद के लिए जूझते बीते सभासदों के 5 साल, वार्डवासियों का नसीब बनी समस्याएं

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अवधनामा संवाददाता  (आदिल तन्हा)

बाराबंकी। नगर पालिका परिषद का चुनाव निकट आ गया है। पड़ अध्यक्ष का हो या सदस्य का, नए दावेदार मैदान में अपनी हाजिरी दर्ज करा रहे हैं तो हाल ही में कार्यकाल पूरा कर चुके सभासद भी लाइन में लग गए हैं। दावेदारों में एक बात समान है कि इन्हें नगर पालिका परिषद के वर्तमान कार्यकाल से सिर्फ शिकायत ही रही। अपेक्षा के अनुसार सदस्य अपने वार्डों में न काम करवा सके और न ही उन्हें महत्व ही मिला। यह रुख चुनाव पूर्व का है, जबकि हकीकत यह है कि वार्डवासी अपने क्षेत्र के विकास और समस्याओं के निस्तारण के लिए तरसते रह गए। जरूरत के समय सदस्य नदारद मिले, नागरिकों को खुद की समस्या के समाधान के लिए खुद ही जूझना पड़ा।
सबसे पहले नजर डालते हैं शहर के वार्ड नेहरूनगर पर, यहां क्या विकास हुआ होगा और क्या समस्याएं निपटी होंगी जब यहां के सभासद मोहम्मद फैसल पूरे 5 साल अपने हक़ और हुकूक के लिए लड़ते ही रह गए। यह रोना रोते हुए वह कहते हैं कि ऐसा नही कि वार्ड में काम नही हुआ पर वह न के बराबर है। सारा वक़्त सिर्फ संघर्ष करते ही बीत गया। अब गौर करें सच पर तो चुनाव जीतते ही सभासद को तलाशने के लिए नागरिक परेशान रहे। समस्याएं जस की तस रह गईं, पेयजल से लेकर साफ सफाई की समस्या मुंह बाए खड़ी रही। बारिश में जलभराव से जूझे तो गर्मी में पेयजल की समस्या से। पांच साल में वार्ड वासियों के नसीब में सिर्फ जूझना ही रहा। मूलभूत सुविधाओं से महरूम रहे बाशिंदे इस बात का मतलब नही समझ सके कि आखिर सभासद चुना किसलिए जाता है।
दूसरा वार्ड है कटरा बारादरी। यहां से सभासद हैं अजय जायसवाल। उनका दावा है कि वार्ड में उन्होंने जमकर विकास कार्य करवाये वह भी नगरपालिका से अपेक्षित सहयोग मिले बगैर। जो उम्मीद थी उतना न काम मिला और न ही समर्थन। कामों के लिए आस बनी रही पर नाकामी ही हाथ आई। इसके बावजूद वार्ड में काफी काम करवाये गए। वार्ड वासी हर काम से अवगत हैं। अब देखते हैं फैक्ट फ़ाइल तो अजय जायसवाल की छवि तो वार्ड में ठीक है लेकिन छवि लेकर वार्डवासी क्या करेंगे। आमजन शिकवा शिकायत लिए टहलते रह गए उनकी सुनने वाला कोई नही मिला। जलभराव, कूड़ा उठान, नाला नाली सफाई से लेकर मार्ग प्रकाश व्यवस्था और गर्मी में जलापूर्ति की समस्या से आमजन दोचार रहे और निस्तारण के लिए बाट जोहते रहे बदले में सिर्फ दिलासा ही हाथ आई।

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