उप मुख्यमंत्री केआदेश को ठेंगा दिखा रहे सरकारी डाक्टर

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ओपीडी में घंटों देर से आना व कमीशन की दवाऐं लिखना इन डाक्टरों की आदत है।

अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान

मौदहा-हमीरपुर : सरकारी अस्पताल मौदहा में लिखी जा रही बाहर की दवाओं पर दैनिक अवधनामा की खबर का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक नें सख्त आदेश देते हुए समस्त सीएमओज को आदेश किया था कि मरीजों को अस्पताल के अन्दर की ही दवाऐं दी जाए तो लेकिन हमीरपुर जनपद के सभी पर उप मुख्यमंत्री का असर दिखता दिखाई नही दे रहा है विशेषकर मौदह के लिए सरकारी अस्पताल के डाक्टरों नें लगता है बाहर की दवाऐं लिखने की कसम ही खा रखी हो। वह हर मरीज को बाहर की कमीशन वाली दवाऐं ही लिख रहे है।  ताप मान में अचानक आये बदलाव के चलते लोग काफी संख्या में बीमार हो रहे हैं विशेषकर  जुकाम बुखार तथा कुछ मरीजों में मलेरि तथा टाईफायड  भी पाया जा रहा है अचानक मरीजों की संख्या में आई बढ़ोत्तरी से बढ़  सरकारी डाक्टरों की बल्ले बल्ले हो रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मौदहा में डॉक्टरों की मिलीभगत से मरीजों को खूब चपत लग रही है, जबकि दवा विक्रेताओं का धंधा खूब फल-फूल रहा है। दरअसल मरीज प्राईवेट डाक्टरों से बचकर सरकारी अस्पताल जाते हैं कि वहां बड़े व काबिल डाक्टरों से इलाज होगा और दवाएं भी मुफ्त मिलेंगी लेकिन यहां की तस्वीर बिल्कुल उलट है कमीशन के फेर में डॉक्टर यहां आने वाले मरीजों को  न सिर्फ बाहरी दवाएं लिखते है बल्कि जाचें भी बाहर की पैथोलॉजीयों में करवाते है ताकि वहां से कमीशन मिलता रहे। मरीजों की शिकायत है कि डॉक्टर दवा लिखने के बाद दबाब बनाते है कि दवा आकर जरुर दिखा देना ताकि कमीशन की लिस्ट बढ़ती रहे।
इस तरह जो दवाएं मरीजों को मुफ्त मिलनी चाहिए, मजबूरी में उसके बदले उन्हें पैसा खर्च करना पड़ रहता है। सी. एच. सी. मौदहा के डॉक्टरों की इस हरकत पर जहां विभाग चुप्पी साधे है तो आला अधिकारी शिकायतों के बाद भी इस पर संज्ञान लेने को तैयार नहीं हैं।  कमीशनखोरी के जाल में फंसाने का गोरखधंधा  मौदहा में लंबे समय से चल रहा है। अस्पताल में दवाएं उपलब्ध होने के बाद भी अलग-अलग कंपनियों की बाहरी दवाएं लिखी जाती हैं।
जानकार बताते है कि  डाक्टर 50 से 60 प्रतिशत तक का कमीशन लेते हैं।  कमीशन देकर  दवा लिखवाने वालों की लम्बी फहरिस्त है इन में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो इधर-उधर शहरों से नये नये नामों की कम्पनियों की दवाऐं लाकर मेडिकलों में रखवातें और फिर डाक्टर उन्ही चिड़ी मार दवाओं को लिखते हैं जिस पर उन्हें भारी कमीशन दिया जाता है इस घिनौने कार्य में समुदाक स्वास्थ्य केन्द्र मौदहा के डाक्टरों के साथ साथ फार्मासिस्ट भी शामिल हैं। ग़ौरतलब बात यह है कि कमीशन के चक्कर में बहुत से मरीजों को अनावश्यक दवाऐं भी दी लिखी जाती हैं।
एक  मरीज  ने बताया कि उस को पेट में दर्द की शिकायत थी  जब वह सीएचसी मौदहा पहुंचा तो वहां डाक्टर नें पूरी दवाएं बाहर की लिखी जिस के लिए उसे 700 रू खर्च करना पड़े जबकि पेट की दवाऐं तो अस्पताल में रहती ही हैं।
कुछ चिकित्सकों द्वारा लिखे बीते  कई महीनों के पर्चों पर गौर किया गया तो पता चला कि अस्पताल में जो दवाऐं प्रयाप्त संख्या  मौजूद हैं लेकिन कमीशन के चक्कर में उन्ही साल्ट की दवाऐं बाहर से लिखी जा रही हैं एक दूसरे मरीज ने बताया कि उसकी पत्नी की तबीयत ठीक नही थी जिसको महिला चिकित्सक को दिखाया उस महिला चिकित्सक नें 800 रू की दवाऐं बाहर की लिखीं।

सीएचसी में दवाएं उपलब्ध होने के बाद भी डॉक्टरों की सेटिंग-गेटिंग से चल रहे कारोबार में प्राइवेट केमिस्टों की चांदी है। केमिस्ट डॉक्टर को दिए गए कमीशन की भरपाई मरीजों से मनमाफिक पैसे लेकर कर लेते हैं।लोगों का कहना है कि निःशुल्क दवाएं उपलब्ध कराना शासन की मंशा है, लेकिन डॉक्टर कमीशन के चक्कर में मरीजों से धोखाधड़ी कर रहे हैं।
प्राईवेट प्राक्टिस का हाल यह कि सुबह और शाम 100 – 200 रू लेकर डाकर अपनें आवासों में मरीजों को देखते है। दिलचस्प बात यह है कि फीस लेकर देखनें के बाद भी कमीशन का दामन नहीं छोड़ ते हैं

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