Saturday, May 4, 2024
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फ्रांसीसी राष्ट्रपति का पैगंबर हज़रत मुहम्मद का अपमान करना निंदनीय और असहनीय है : मौलाना कल्बे जवाद नकवी

लखनऊ, 29 अक्तूबर : मजलिसे ओलमाए हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने आज फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन द्वारा पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स0अ0व0) के अपमान की कडी निंदा करते हुए बयान जारी किया। मौलाना ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन का बयान आया है कि फ्रांस पवित्र पैगंबर के कार्टून बनाने की प्रक्रिया को जारी रखेगा, निंदनीय और असहनीय बयान है। यूरोप जो खुद को धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी कहता है यह उसकी मुनाफिकाना नीति का सबूत है। मौलाना ने कहा कि मैक्रॉन ने पहले भी कहा है कि इस्लाम वैश्विक संकट से पीड़ित है, अगर ऐसा है तो इस्लाम यूरोप में तेज़ी से क्यों फैल रहा है। मैक्रोन के बयान उनकी बीमार मानसिकता का प्रतीक हैं और वह लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काना चाहते हैं।
मौलाना ने कहा कि जो लोग पैगंबर हज़रत मोहम्मद के चरित्र और उनकी सीरत से अनजान हैं, एसा निन्दात्मक बयान दे सकते हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इस्लामोफोबिया का शिकार हैं और अपनी चरमपंथी मानसिकता का इज़हार कर रहे हैं। मौलाना ने कहा कि यूरोप इस्लामोफोबिया का शिकार है। युवा पीढ़ी मैक्रोन जैसे इस्लामोफोबिया से पीड़ित लोगों के शब्दों पर कम ध्यान देती है, युवा पीढ़ी अनुसंधान और अध्ययन में रूची रखती है और जिसने भी इस्लाम और पैगंबर हज़रत मोहम्मद की सीरत और उनकी ज़िंदगी का अध्ययन किया है वह लोग प्रभवित हुए बिना नही रह सके।मौलाना ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति खुद की थोड़ी सीभी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते और अपने आलोचकों को जेल भेज देते है, लेकिन उन्होंने पैगंबर हज़रत मोहम्मद का अपमान करके अपनी द्वैध नीति और बीमार मानसिकता का सबूत दिया है। फ्रांस के लोगों को इस संबंध में अपने राष्ट्रपति से सवाल करना चाहिए और उनके खिलाफ प्रतिक्रिया देनी चाहिए क्योंकि मैक्रॉन की ये हरकतें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं।
मौलाना ने कहा कि इस्लामी दुनिया मुस्लमान देशों की पाखंडी भूमिका का खामियाज़ा भुगत रही है। अगर सभी मूस्लमान देश ऐसे चरमपंथी और इस्लामोफोबिया का शिकार देशों और पवित्र पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स0अ0व0) का अपमान करने वालों का कजुट हो कर बहिष्कार करते तो ऐसे निंदनीय बयान कभी अस्तित्व में नहीं आते। मौलाना ने कहा कि सभी इस्लामिक देशों को एकजुट होकर फ्रांसीसी अधिकारियों के बयानों की निंदा करनी चाहिए और अगर वह माफी नहीं मांगते हैं, तो उन्के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लेने चाहिए और पैगंबर हज़रत मोहम्मद के प्रति अपने प्यार और वफादारी को प्रदर्शित करना चाहिए।

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