इमरान पर जानलेवा हमला

0
39

एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

हमारे अखबार ने सम्पादकीय में पहले ही लिखा था कि इमरान पर कुछ अप्रत्याशित घट जाये तो कोई ताज्जुब नहीं होगा। इसमें शासन तो मोहरा होता है असली गठबन्धन न्यायपालिका सेना और मुल्लावादी नेताओं का है। जो गोट विछा शतरन्ज की चाल चलते हुये जिनसे उन्हें जरा भी खतरा लगता है या जिसने इन तीनों के खिलाफ जरा भी विरोध दिखाया तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है या अपदस्थ कर दिया जाता है। खासकर सेना तो विरोध को लेकर अतिसंवेदनशील है। बेनजीर भुट्टों का अन्जाम देख ही चुके है। उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो का भी अन्जाम देख ही चुके है। पाकिस्तानी सरकार इसी तिकड़ी की कठपुतली होती है। जहंा जरा भी उन्हें अपना विरोध दिखा तिकडी तुरन्त उनका इलाज कर देती है। कही प्लेन क्रैश करवा देते है तो कही हमला करवा कर हत्या करवा देते है, कही कुर्सी से अपदस्थ करवा देते है। पाकिस्तान का यह पुराना खेल है जो जिन्ना और उनके बाद अल्पकाल को छोड़कर लगातार जारी है।
इमरान का भी सेना के प्यारे थे उसी ने इनको गद्दी पर बैठाया। पर इमरान प्रधानमंत्री बनने के बाद सेना के निर्णयो में दखलन्दाजी करने लगे थे। सेना अमेरिका के बीच होने वाले पैक्ट की भी आलोचना की। चीन द्वारा चलाये जा रहे प्रोजेक्ट की भी अलोचना की। जेनरल वाजवा के सेवा विस्तार में झुकाव दिखा रहे थे। आईएसआई चीफ के बारे में भी निर्णाय नही ले रहे थे। बीच बीच में भारत की कुछ बातों को लेकर तारीफ करते रहे है।
आर्थिक समझौते दूसरे देशों में सेना के संसाधनों को बढ़ाने के लिये होते है उसमें किसी प्रकार का राजनैतिक टीका टिप्पणी ज़रा भी बरदाश्त नही करती है क्योकि उसमें उनका निजी फायदा ज्यादा रहता है। सेना भारत विरोध, विदेशो से प्राप्त आर्थिक मदद और सैन्य संसाधनों के विस्तार के लिये मिलने वाले धन पर ऐश करती है। इमरान इन सब पर नजर रख कुछ आलोचना भी करते रहते थे। तिकड़ी को अपने आस्तित्व को लेकर इमरान से चिढ़ गई थी। उन पर उल्टे सीधे केस दायर किये गये, भ्रष्टाचार का अरोप गढ़ा गया, कोर्ट ने उन्हें अपदस्थ कर दिया और अगले पाच साल तक चुनाव न लड़ सके इसके लिये अभियोग तैयार कर रहा था।
कुर्सी से हट जाने के बाद इमरान हतोत्साह नही हुये पार्टी को संगठित कर छोटे मोटे अन्दोलन शुरू कर दिये नई कठपुतली सरकार के सेना और कोर्ट ने बनवाई उसकी अलोचना भी करते रहे। शीघ्र चुनाव की मांग को लेकर काफी मुखर होते जो रहे थे। अन्त में आजादी के नाम पर लम्बा मार्च लाहौर से इस्लामाबाद के लिये शुरू किया। लोगो की अपार भीड़ मार्च से हिस्सा ले रही थी। आम लोगो ने आजादी को लेकर एक नई पार्टी भी बना ली जो निश्चित है। इमरान का साथ दे रही है। जनता बाढ़ और आर्थिक बदहाली से पस्त है। मंहगाई चरम पर है। लोगो खाने पीने में कटौतियां कर रहे है। भुखमरी की ओर एक तबका बढ़ रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री शरीफ चीन गये है, आर्थिक मदद मांगने के लिये। चीन कहा है मदद देगे पर चीन की अपनी शर्ते होती है। जिन शर्तो की वजह से श्रीलंका बदहाली झेल रहा है। चीनी एक नागरिक की पाकिस्तान में हत्या भी हो गयी है। चीन अपने प्रोजेक्ट के लिये सुरक्षा के लिये अपनी शर्ते रख रहा है। शरीफ ने इमरान पर हुये आक्रमण की निन्दा भी की है। इमरान के दोनो पैरो में गोली लगी है। एक दो अन्य लोग और बच्चे की मौत भी हो गई है। हमलावर ने कह वह इमरान को जान से मारना चाहता है। हमलावर ने यह भी कहा उनका कोई साथी नही है वह अकेले जिम्मेदार है। बात जंचती नही है। चूकि हमला इमरान पर हुआ है इसलिये शासन, सेना, पुलिस जांच की औपचरिकता निभायेगे। इमरान खुद उनके द्वारा बनवाये अस्पताल में भर्ती है। डाक्टरों ने खतरे से बाहर बताया है। इमरान ने कहा हमे अल्लाह ने बचा लिया है। हम अपनी लड़ाई जारी रक्खेगे। मौजूदा सरकार और सेना जनता की नारजगी पहलीे से ही नही संभाल पा रही है। उसकी चिन्ता और बढ़ गई है। इमरान को जनता की सहानुभूति का निश्चित रूप से फायदा मिलेगा। अन्दोलन और गति पकडेगा। शासन सेना तुरन्त चुनाव नहीं करायेगे। उन्हें डर है इमरान साहनभूति की लहर पर चढ़कर यदि चुनाव जीत गये तो उनका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। सेना का रूतबा फीका पड़ जायेगा। इमरान को अपनी सुरक्षा बढ़ा लेनी चाहिये। क्योंकि सेना अपने हरक़त से बाज नही आयेगी कुछ न कुछ गुल खिलायेगी अपने हित के लिये। इमरान के विरोध में इस समय, शासन सेना, न्यायपालिका और मुल्लावादी नेता जो आंतक को पनाह देते है और बढ़ावा देते है सब एक साथ आते गतिशील हो जायेगे। आतंकी कुछ भी वारदात करा सकते है। सेना भारत सीमा पर ध्यान बटाने के लिये विस्फोटक स्थिति पैदा कर सकती है। इमरान धैर्य और कौशाल के परीक्षा की घड़ी है। इमरान कह रहे है सेना और आईएसआई की कारस्तानी है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here