Wednesday, May 15, 2024
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कोरोना संकट- अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सऊदी अरब ने उठाया बड़ा क़दम

कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है. इसको देखते हुए सऊदी अरब ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत अर्थव्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए सऊदी अरब ने वैल्यू एडेड टैक्स तीन गुना बढ़ाने का फैसला लिया है.

इसके साथ ही सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस भी रोक दिया है ताकि वित्तीय घाटे को कम किया जा सके.

बता दें कि सऊदी अरब ने दो साल पहले ही वैट लागू किया था. इसे लागू करने के पीछे सऊदी की मंशा थी कि दुनियाभर के कच्चे तेल के बाज़ारों पर अपनी निर्भरता को कम करे. सऊदी की सरकारी न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक वैट की दर पांच फ़ीसदी से बढ़ाकर 15 फ़ीसदी कर दी गई है. नई टैक्स दर एक जुलाई से लागू होगी.

वित्त मंत्री मोहम्मद अल जदान ने एक बयान में कहा कि ये बदलाव कष्ट देने वाले हैं लेकिन लंबे समय के लिहाज से देखें तो वित्तीय और आर्थिक स्थिरता के लिए बेहद ज़रूरी हैं. जिससे हम कोरोना वायरस संकट की विषम परिस्थिति से पैदा हुए हालात से कम से कम नुकसान के साथ उबर पाएंगे.

तेल के धनी सऊदी को कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में लागू किए गए लॉकडाउन के बाद तेल की गिरी हुई कीमतों के कारण काफ़ी नुकसान झेलना पड़ रहा है. अब सरकारी खर्च आमदनी से ज़्यादा हो गया और साल के पहले तीन महीनों में ही सऊदी का बजट घाटा 9 अरब डॉलर हो गया. इसके पीछे बड़ी वजह कच्चे तेल की कीमतों का गिरना भी है. तेल कीमतें गिरने से सऊदी के राजस्व में 22 फ़ीसदी की गिरावट आई.

साल 2011 के बाद यह पहला मौका है जब मुद्रा का हाल ऐसा है. कोरोना संकट की वजह से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए जो नए नियम बनाए गए हैं उनसे विकास दर धीमी होगी लेकिन यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जो आर्थिक सुधार के कदम उठाए थे उन्हें बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा.

बीते साल सऊदी अरब ने सरकारी तेल कंपनी अरामको के शेयर में सार्वजनिक भागीदारी की योजना के जरिए 25.6 अरब डॉलर जुटाए थे. तेल कंपनी के शेयर बेचने का प्लान क्राउन प्रिंस की उस योजना का प्रमुख हिस्सा था जिसके जरिए वो देश की अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाना चाहते हैं और सिर्फ तेल पर देश की निर्भरता कम करना चाहते हैं.

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