Friday, May 3, 2024
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सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम ने गोरखपुर में शुरू की ओपीडी सेवा, फ्री हेल्थ कैंप का किया आयोजन

अवधनामा संवाददाता

गोरखपुर । सीके बिरला अस्पताल द्वारा गोरखपुर में फ्री हेल्थ कैंप का आयोजन किया। इस कैंप में हड्डी व जोड़ों से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों को परामर्श दिया गया। इसी मौके पर सीके बिरला अस्पताल ने यहां अपनी ओपीडी सेवा शुरू करने का भी ऐलान किया।

इस हेल्थ कैंप में बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने घुटनों का दर्द, कमर दर्द, गठिया और अन्य जोड़ों से जुड़ी समस्याओं को लेकर डॉक्टरों को दिखाया। सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम के सीनियर डॉक्टर ने इन मरीजों को फ्री में परामर्श दिया, और फायदेमंद तरीके बताए।

इस मौके पर सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के लीड कंसल्टेंट डॉक्टर देबाशीष चंदा ने बताया कि लोगों में हड्डी से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. खासकर, गलत लाइफस्टाइल की वजह से यंग आबादी इसकी चपेट में ज्यादा आ रही है।

डॉक्टर देबाशीष चंदा ने कहा, ”जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती जाती है, जोड़ों की समस्या बहुत ही आम हो जाती है. हालांकि, समय पर इसका पता लगाकर एडवांस जॉइंट रिप्लेसमेंट तरीकों का इस्तेमाल कर मरीजों को काफी राहत मिल सकती है. कम्प्यूटर असिस्टेड इलाज के तरीके अब मरीजों की जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं और उनकी रिकवरी भी तेजी से होती है. गठिया के जो गंभीर मरीज दवाई या अन्य नॉन ऑपरेटिव तरीकों से ठीक नहीं हो पाते हैं उनके लिए जॉइंट रिप्लेसमेंट प्रक्रिया बहुत ही लाभकारी रहती है. इस तरह की सर्जरी अब बहुत ही स्पेशलाइज्ड और एडवांस तरीके से की जा रही हैं जिसके चलते मरीजों को कम वक्त में ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है और उन्हें बहुत ही कम शारीरिक परेशानी होती है. मरीजों की रिकवरी भी जल्दी हो जाती है और वो संतुष्ट रहते हैं।

जॉइंट रिप्लेसमेंट की एडवांस तकनीक में 3-डी इमेजिंग सर्जन के काफी मददगार रहती है. इसकी मदद से ऑपरेशन के दौरान सर्जन एकदम सटीक जगह कट लगा पाते हैं और परफेक्शन के साथ इंप्लांट कर पाते हैं. इसके साथ ही अगर कोई गलती होती है तो उसको तुरंत ठीक कर लिया जाता है।

कंप्यूटर-नेविगेटेड पिनलेस सर्जरी से शानदार रिजल्ट आए हैं. इसके जरिए की जाने वाली घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी 99.9% तक सफल रहती है. इससे आर्टिफिशियल जॉइंट की आयु बढ़ती है और उसकी कार्यक्षमता में भी इजाफा होता है. नी-रिप्लेसमेंट कराने वाले मरीजों के लिए ये तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है।

डॉक्टर चंदा ने जोर देकर कहा, ”जिन मरीजों को जॉइंट सर्जरी कराने की आवश्यकता रहती है वो इस प्रक्रिया को जरूर अपनाएं ताकि उनका जीवन आसान हो सके. इससे रोजमर्रा के कामों में मरीजों की दूसरों पर निर्भरता कम होती है और उसे अपनी आजादी व खुशी का एहसास होता है।

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