सभी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके थे चमन लाल बाबरा

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। जब भी चुनावी मौसम आता है तो ललितपुर विधानसभा क्षेत्र में एक नाम की चर्चा अवश्य हो जाती है वह चमन लाल बाबरा । चमन लाल बाबरा जनपद में छोटे बड़े सभी में अपनी किस्मत आजमाई है नगर पालिका परिषद विधानसभा लोक सभा सभी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी थी उनके जीवन के लगभग 26 चुनाव उन्होंने लडे। चमन लाल बाबरा इस जनपद के ऐसे व्यक्ति थे जिनमें सभी कलाएं मौजूद थी । सन 1977 के चुनाव में रायबरेली से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के खिलाफ राज नारायण जी चुनाव में खड़े थे उनके प्रचार में आप गई थी आपने राज नारायण जी का पिक्चर आज के माध्यम से इतना सशक्त किया था कि उनका नाम बीबीसी लंदन ने भी बोला था ।इस चुनाव में तत्कालीन श्रीमती इंदिरा गांधी कुछ चुनाव में हार गई थी और इसके बाद ही ललितपुर के सपूत को एक अलग पहचान मिली थी क्योंकि ऐसा कहा गया था कि राज नारायण जी के चुनाव में चमन लाल बाबरा के द्वारा चुनाव का आर्ट के माध्यम से प्रचार किया था की वह सफल हो गए थे ।इसके बाद समाजवादी विचारधारा से जुड़े इस नेता को जयप्रकाश नारायण कहा था कि चमन लाल जी आप दिल्ली आ जाओ हम आपके राज्यसभा से सांसद बना देंगे लेकिन चमन लाल जी नहीं उनका कहना था कि हम जीत कर ही संसद भवन पहुंचेंगे इस दौर में चमन लाल जी की मुलाकात मुंबई में तत्कालीन पूर्व रेल मंत्री समाजवादी नेता हुई जोर्ज फर्नाडीज हुई । उनके साथ भी उनकी अच्छी दोस्ती हो गई साथ में रेलवे नौकरी की साथ में दोनों ने छोड़ी थीऔर भाई ललितपुर आ गई थी । बताया जाता है कि उसे समय फिल्म प्रोड्यूसर मक्खन लाल जी से उनकी मुलाकात हुई वहीं उन्होंने मीना कुमारी का एक चित्र बना दिया उसके चित्र को इतना संजीव बताया की उसे जमाने की जानी मानी हीरोइन मीना कुमारी ने उनको कहा तुम तो बावरा हो बस यही से उनको यह एक और नाम मिल गया और उन्होंने अपने नाम की आगे चमन लाल बरा लिखने लगे कुछ दिनों के बाद वह मुंबई से भी वापस आ गई। लेकिन उनका मन राजनीति में ही लगता था उनके मन में दलितों के प्रति गरीबों के प्रति एक दर्द था उनका मानना था यदि हम एक जल्द प्रतिनिधि बन गई तो पूरे देश के गरीबों का मजनू का दलितों का भला करेंगे और इसी के दम पर लगातार चुनाव लड़ती’ ललितपुर में चुनाव के दौरान उनकी सभा का लोग इंतजार करते थे क्योंकि जितने भी प्रत्याशी खड़े होते थे उनको वह चुनावी भाषा मे बहुत कुछ कहा करते थे जिस को सुनने के लिए ललितपुर की जनता आतुर रहती थी चुनाव प्रचार में बह पैदल ही चुनाव प्रचार करत थे अपने हाथ से दीवारों पर पेंटिंग करते थे उनका चुनावी खर्च₹ 5000 से ज्यादा नहीं होता था । उनके पुत्र संजीव बाबरा ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री विट्ठल भाई पटेल ने भी उन्हें एक बार नेट दिया था कि वह सागर म प्र आए और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन भाई सागर तो गए पर निर्दलीय ही चुनाव लड़े उन्होंने कभी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा । यह उनकी एक खासियत कहे या जिद । बढ़िया नारे लिखते जो आज भी लोगों के जहन घूमते हैं ।
अपने चुनाव प्रचार में मंच से कहते थे कि जितने श्रोतागण मुझे सुनने आते हैं इतने ही दिल से आप लोग मेरा सपोर्ट कर दें फिर मैं ललितपुर की तस्वीर बदल दूंगा । लेकिन हर चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो जाती थी ।इस सब के बाद भी चमन लाल बावरा जी ललितपुर जनपद में काफी लोकप्रिय थे उनकी एक पहचान थी लेकिन राजनीति में उनको कभी जयश्री नहीं मिली । इसका उनके चाहने वालों को गम रहा लेकिन नेताजी को कभी चाहत नहीं रही उनका तो बस एक लक्ष्य रहता था हमें चुनाव लड़ना है हमें अपनी बात जनता के बीच रखती है।

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