नई दिल्ली। केंद्र ने गुरुवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की मूल फाइल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखी। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल को पेश करने का आदेश दिया था । मामले की सुनवाई जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच कर रही है। इसमें जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने की मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बता दें कि याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्त का चयन सीजेआई, पीएम और नेता विपक्ष की कमिटी को करना चाहिए।
15 मई से खाली था पद
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की गई । कोर्ट ने गोयल की नियुक्ति वाली फाइल पर तेजी से हुए काम को लेकर सवाल किया- बिजली की सी स्पीडमें इसपर काम हुआ है क्यों। ईसी अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल देख कोर्ट ने सवाल किया, 15 मई से पद खाली था। इसके बाद अचानक 24 घंटे से भी कम समय में नाम भेजने से लेकर मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी कर दी गई। 15 मई से 18 नवंबर के बीच क्या हुआ?
चार नामों पर कोर्ट ने किया सवाल
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने सवाल किया, कानून मंत्री ने जो 4 नाम भेजे, उन नामों में क्या विशेष बात है। उसमें से सबसे जूनियर अधिकारी को ही क्यों और कैसे चुना गया। रिटायर होने जा रहे अधिकारी ने इस पद पर आने से पहले वीआरएस भी लिया। इस पर केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया।
अटॉर्नी जनरल ने दिए जवाब
अटॉर्नी जनरल ने कहा, प्रक्रिया में कुछ गलत नहीं हुआ। पहले भी 12 से 24 घंटे में नियुक्ति हुई है। ये 4 नाम डीओपीटी के डेटाबेस से लिए गए। वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। उन्होंने आगे बताया, नाम लिए जाते समय वरिष्ठता, रिटायरमेंट, उम्र आदि को देखा जाता है। इसकी पूरी व्यवस्था है। आयु की जगह बैच के आधार पर वरिष्ठता मानते हैं।
मामले की सुनवाई करने वाली जजों की बेंच का कहना था कि हाल में हुई नियुक्ति से अभी जारी चयन प्रक्रिया को बेहतर समझा जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयुक्त चुनने के लिए सीजेआई, पीएम और नेता विपक्ष की कमेटी बनाने की मांग वाले मामले की सुनवाई की जा रही है।
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