हल्लौर स्थित दरगाह हज़रत अब्बास में महफील ए वफ़ा का आयोजन

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  • शेरे खुदा के शेर का अब्बास नाम है….
  • आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह व आईबीआईएस ग्रुप के एमडी जॉन अब्बास रिज़वी रहे खुसूसी मेहमान
  • भोर तक चली महफ़िल में अंत तक जमे रहे श्रोता
अवधनामा संवाददाता
डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। (Dumariyaganj Siddhrtha Nagar) तहसील क्षेत्र के हल्लौर स्थित दरगाह हज़रत अब्बास में मंगलवार शाम महफील ए वफ़ा के नाम से एक ऑल इण्डिया महफ़िल-ए मक़ासिदा का एहतेमाम अंजुमन फेदाये अबुल फ़ज़लिल अब्बास के बैनर तले कोविड 19 को ध्यान में रखते हुए किया गया। जिसमें मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह व काज़ी इमरान लतीफ, आईबीआईएस ग्रुप के एमडी जॉन अब्बास रिज़वी मेहमान खुसूसी के तौर पर मौजूद रहे। महफ़िल की सदारत इमाम जुमा मौलाना मोहम्मद हसन ने किया। संचालन कर रहे  डॉ अब्बास रज़ा नय्यर जलालपुरी ने महफ़िल में एक से बढ़कर एक कलाम पढ़कर पूरा समां बांध दिया।
महफ़िल की शुरुआत अब्बास अली के तिलावते कलामपाक से हुआ ततपश्चात अम्बर मेंहदी ने नात के पाक पढ़कर खूब दाद ली। इसके बाद मुकामी शायरों ने तरही कलाम पेश किया। महफ़िल की सदारत कर रहे मौलाना मोहम्मद हसन ने अपनी तकरीर के ज़रिए हज़रत अब्बास की जिंदगी पर भरपूर रोशनी डाली और उनकी बहादुरी के वाकये को विस्तार से बयान। इसके बाद बैरूनी शायरों ने मिसरे तरह पर एक से बढ़कर शेर पेशकर महफ़िल को उरूज पर पहुँचा दिया। महफ़िल में बतौर मुख्य अतिथि आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम हिन्दू-मुस्लिम एकता का का सन्देश देता है।
Abbas is the name of the lion of Shere Khuda .... Mahfil-e-Wafa organized at Hazrat Abbas, a dargah in Hallour.
हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जिसमे हिन्दू-मुस्लिम साथ रहते हैं। लेकिन कुछ लोग इस एकता से जलन रखते हैं और इसे मिटाना चाहते हैं परंतु वे कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होंगे। क्योंकि हिंदुस्तान में सभी धर्म के लोगों को इज्जत से रहने का अधिकार है। जबकि इंजीनियर काजी इमरान लतीफ ने कहा कि मौला अब्बास का किरदार बहुत ही अच्छा था। आज हमें उनके किरदार को अपने जिंदगी में उतारना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि खुशनसीब लोगों को इस कीमती मजलिसों में आने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि जिसने इस्लाम के फार्मूले को समझ लिया तो आपको दीन का फार्मूला समझ मे आ जायेगा।  तभी हम सही मायने में इस्लाम के मानने वाले हो सकते हैं। कार्यक्रम में आईबीआईएस ग्रुप के एमडी जॉन अब्बास रिज़वी, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ जैगम अब्बास, डॉ हैदर इक़बाल ज़ैदी एमडीएस लखनऊ ने अपनी अपनी तकरीर से मौजूद लोगों को ज्ञानवर्धक बातें बताई। बैरूनी शायरों में हाशिम जलालपुरी, नदीम अकबर हैदराबादी, जुल्फेकार ख़ुर्रमाबादी बिहार, नईम हैदर मुज़फ्फरनगरी, ज़मन जैदपुरी बाराबंकी, वक़ार सुल्तानपुरी, नजफ़ मुजफ्फरनगरी, आरज़ू जलालपुरी, कल्बे अब्बास बुकनालवी, सफदर बहिश्ती हरदोई, नकी हैदर गंगेरुवी शामली, हानी फतेहपुरी के अलावा मुकामी शायरो में डॉ नायाब हल्लौरी, बेताब हल्लौरी, कमर, साबिर, हसन जमाल, हानी, अम्मार, मेंहदी, खुलूस, डॉ खुर्शीद ज़फर, अफसर, मेराज, मीसम, आदि अपना नज़राना पेश किया। सदर वजीहुल हसन व सिकरेट्री कामयाब हैदर बब्लू ने तमाम आये हुए लोगों का शुक्रिया अदा किया।
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