दूध प्रसंस्करणः आय अर्जन का साधनः डा0 प्रज्ञा ओझा

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अवधनामा संवाददाता

बांदा। कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा युवतियों हेतु चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन डा0 प्रज्ञा ओझा द्वारा किया गया। डा0 प्रज्ञा ओझा ने महिला कृषकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि दूध हमारे लिये सबसे महत्वपूर्ण आहार है। शैशवावस्था से वृद्धावस्था तक हमारे शरीर को दूध की प्रमुख आवश्यकता रहती है। दूध को किसी भी दूसरे भोज्य पदार्थ से स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता है। प्रौढावस्था में प्रतिदिन 02 कप दूध अथवा इसकी मात्रा के समान अन्य दूध के बने भोज्य पदार्थ लेने आवश्यक होते हैं। कार्यक्रम में आगे डा0 प्रज्ञा ओझा ने बताया कि दूध एक जटिल भोज्य पदार्थ है। जिसमें द्रव की मात्रा ठोस पदार्थों की मात्रा से कहीं अधिक होती है। ताजे गाय के दूध में लगभग 87 प्रतिशत जल व 13 प्रतिशत ठोस पदार्थ होते हैं। दूध का संगठन जानवर, जानवर की प्रजाति व जानवर के आहार पर निर्भर करता है। एक कप गाय के दूध से लगभग 9 ग्राम प्रोटीन, 9 ग्राम वसा, 12 ग्राम कार्बोहाईड्रेट तथा 160 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। कार्यक्रम के अन्तर्गत डा0 प्रज्ञा ओझा द्वारा प्रशिक्षणार्थियों द्वारा यह भी समझाया गया कि दूध में मुख्य रूप से तीन प्रकार की प्रोटीन उपस्थित रहती है -केसीन, लैक्टऐल्बुमिन व लैक्टग्लोबूलिन। ये तीनों प्रकार की प्रोटीन पूर्ण प्रोटीन है। इसके साथ साथ दूध की वसा में संतृप्त वसीय अम्ल (फैटी एसिड) भी उपस्थित रहते हैं। जोकि मानव शरीर विकास में अत्यन्त लाभप्रद है। कार्यक्रम में डा0 प्रज्ञा ओझा ने युवतियों के समक्ष दूध से बने विभिन्न पदार्थ जैसे रसमलाई, बर्फी, खीर, छेना, रबडी इत्यादि बनाकर भी प्रदर्शन कराया व दूध प्रसंस्करण के महत्व को विधिवत समझाया। कार्यक्रम के अन्त में डा0 दीक्षा पटेल ने महिला कृषकों को धन्यवाद् दिया व कार्यक्रम को सफल बनाने में केन्द्र के वैज्ञानिक डा0 मानवेन्द्र सिंह, डा0 मंजुल पाण्डेय, ई0 अजीत कुमार निगम, कमल नारायण बाजपेयी व धमेन्द्र कुमार सिंह का विशेष योगदान रहा।

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