पिता की बेरुखी व हरकतों से तंग आकर बेटे ने ही उतारा था मौत के घाट, उसे अपने किये का नही पछतावा

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अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। सर्विलांस व थाना सतरिख की संयुक्त पुलिस टीम ने धर्मेन्द्र हत्याकाण्ड का सफल अनावरण करते हुए हत्यारे पुत्र को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह ने आज खुलासे की जानकारी दी। बताते चलें कि गत 20 फरवरी को वादी हरिओम पुत्र धर्मेन्द्र मोहल्ला गढ़ी कस्बा व थाना सतरिख द्वारा सूचना दी गई कि उसके पिता धर्मेन्द्र फसल की रखवाली करने हेतु खेत गये थे, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके सिर में चोट मार कर हत्या कर दी गई है। घटना का सफल अनावरण कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी करने हेतु पुलिस टीमों का गठन किया गया। सर्विलांस व थाना सतरिख की संयुक्त पुलिस टीम द्वारा मैनुअल इंटेलीजेन्स एवं डिजिटल डेटा की मदद से वादी व अभियुक्त हरिओम वर्मा पुत्र स्व0 धर्मेन्द्र वर्मा निवासी मोहल्ला गढ़ी व थाना सतरिख को जीआईसी इण्टर कॉलेज, सतरिख के पास बाग से गिरफ्तार किया गया। अभियुक्त के निशांदेही से मृतक का मोबाइल फोन व आलाकत्ल रक्त रंजित ईट का अद्धा बरामद किया गया।।
मृतक धर्मेन्द्र पुत्र स्व0 राम सिंह उम्र 52 वर्ष मोहल्ला गढ़ी कस्बा का का मूल निवासी था उसके नाम 10 बीघे कच्चे जमीन है। उसका विवाह लगभग 30 वर्ष पूर्व गीता निवासी महुरा खुर्द थाना गोसाईगंज जनपद लखनऊ के साथ हुआ था और इनके एक लड़का हरिओम व एक लड़की थी। शादी के करीब 8 साल बाद गीता को न्यूरो की बीमारी हुई तो धर्मेन्द्र ने पैसे की कमी का बहाना बनाकर इलाज नहीं कराया तब गीता अपने दोनो बच्चो के साथ अपने मायके महुरा खुर्द चली गयी जहां उसके माता व भाई ने उसका इलाज कराया और गीता ठीक हो गयी। इस प्रकार वह मायके में ही चार पांच साल तक रूक गयी फिर गीता जब अपने पति धर्मेन्द्र वर्मा के पास अपने ससुराल आना चाही तो धर्मेन्द्र वर्मा ने उसे लाने से मना कर दिया, तब गीता ने न्यायालय में घरेलू हिंसा का मुकदमा कर दिया था। कुछ दिन बाद लोगो के माध्यम से दोनो पक्षो में सुलह हो गया और गीता ने मुकदमे मे सुलह लगा दिया था और बतौर पत्नी धर्मेन्द्र गीता को दोनो बच्चो सहित अपने घर रखने लगा। सुलह के बाद भी पूर्व की बातो को लेकर पति पत्नी के रिश्तों में कड़वाहट बनी रही। इसी बीच धर्मेन्द्र का सम्बन्ध पड़ोसी एक महिला से हो गया जो धर्मेन्द्र की दूर की रिस्तेदार है। इस सम्बन्ध की जानकारी उसकी पत्नी गीता व पुत्र हरिओम को होने पर जब उन्होने विरोध किया तो धर्मेन्द्र वर्मा ने अपने पुत्र हरिओम को अपनी पूरी खेती पड़ोसी महिला के नाम कर देने की धमकी दी तब पुत्र हरिओम को पूरा विश्वास हो गया कि उसका पिता धर्मेन्द्र अपनी पूरी खेती पड़ोसी महिला के नाम कर देगा। इस बात से वह खिन्न हो गया और उसकी जमीन जायजाद पड़ोसी महिला को न चली जाए इसलिए उसने अपने पिता को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया। 19 फरवरी को प्लान तहत जब उसका पिता धर्मेन्द्र अपने खेत में मटर की रखवाली करते हुए चारपाई पर सो रहा था तभी देर रात में हरिओम अपने घर से खेत में आकर सोते हुए अपने पिता की सिर पर ईट से कई बार प्रहार कर उसकी हत्या कर दी। अभियुक्त खुद को बचाने के लिये स्वयं वादी जन कर थाना सतरिख पर अज्ञात के विरूद्ध पंजीकृत करा दिया था।
अभियुक्त ने पूछताछ पर बताया कि उसके पिता धर्मेन्द्र का चाल चलन अच्छा नहीं था। वह अपने ईष्ट मित्रो मे कमाया हुआ पैसा खर्च करता था तथा अपने घर गृहस्ती मे ध्यान नहीं देता था और पड़ोस की महिला के घर में उसका उठना बैठना वनहाना धुलना भी उसी के घर पर होता था जिससे मोहल्ले व रिस्तेदारो में हम लोगो की बेईज्जती होती थी। उसने कई बार अपने पिता को मना करते हुए घर पर ध्यान देने की बात कही तो उनमें कोई सुधार नहीं हुआ और मेरे पिता बात बात पर धमकी देते थे कि मैं अपनी जमीन बेच दूंगा या पडोसी महिला के नाम कर दूंगा और वही रहूँगा। इन्ही सब कारणो से मै और मेरी माँ निराश व क्षुब्ध रहते थे। मैं अपनी तथा अपनी माँ का मान सम्मान बचाने व अपनी जमीन बचाने के लिए तथा अपने पिता से निजात पाने के लिये एक माह से प्रयास कर रहा था। उसे अपने पिता को मारने का कोई पश्चाताप नहीं है।

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