बुविसे ने बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण की मांग को लेकर किया सत्याग्रह

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अवधनामा संवाददाता

बुन्देलखण्ड के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से जनता में फैल रहा है आक्रोश : टीटू कपूर

ललितपुर। स्थानीय कम्पनी बाग में बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण की मांग को लेकर बुन्देलखण्ड विकास सेना प्रमुख हरीश कपूर टीटू के नेतृत्व में 2 घंटे का सत्याग्रह किया गया। इस मौके पर बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण समर्थन में नारेबाजी की गई। सेना प्रमुख ने कहा कि हमारे बुन्देलखण्ड के सारे के सारे जनप्रतिनिधि केवल चुनावी मोहरे बनके रह गये है जो चुनाव के समय बुन्देलखण्ड की जनता को लुभावने वायदे करके वोट ठगने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड की जनता अपना प्रांत बुन्देलखण्ड प्रान्त का सपना संजोये हुए जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों के आश्वासनों के झूले में झूलते हुए लम्बा वक्त गुजार चुकी है, लेकिन सपना कब हकीकत में तब्दील हो, ये समय की गोद में छुपा हुआ है। लेकिन हमारे राजनेता, हमारे अपने ही जनप्रतिनिधि, हमारी माटी में पले-बढ़े और सत्ता और सम्मान को प्राप्त करने के उपरान्त भी इस क्षेत्र की जनता का भला करने, उनके सपनों की उड़ानें भरने की आकांक्षा को पूरा करना तो दूर, झूठ का पुलिंदा थमाकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे रहते हैं। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड के सभी जनप्रतिनिधि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले पृथक बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण का प्रस्ताव उ.प्र. और म.प्र. की विधानसभाओं में तथा लोकसभा में पारित करके बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण सुनिश्चित करायें। कहा कि हमारा संगठन पिछले 25 वर्ष से बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ की मांग को गाँधीवादी तरीके से उठाता आ रहा है। आजादी के पहले और आजादी के बाद के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का तुलनात्मक अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि देश के इस सबसे पिछड़े भूभाग की व नागरिकों की दिशा और दशा में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं आया है।उन्होंने कहा कि राष्ट्र को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने व अँग्रेज शासकों को लोहे के चने चबाने को मजबूर करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली, रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, हाकी के जादूगर दद्दा मेजर ध्यानचंद, महान उपन्यास सम्राट बाबू वृन्दावनलाल वर्मा की जन्मस्थली व कर्मस्थली बुन्देलखण्ड की पावन धरती अपनी उपेक्षा, बदहाली और दुर्दशा पर खून के आँसू बहाने को मजबूर है। उद्योग शून्यता, उच्च, व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा, सड़क बिजली पानी, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताएं, बेरोजगारों की लंबी फौज, कभी सूखा तो कभी बाढ़ जैसी विभीषिकाएं, सामंतशाही, दबंगई, सूदखोरी, भ्रष्टाचार व अत्याचार के अलावा अभी लगभग तीन साल से कोविड 19 जैसे शूलों के दंश की पीड़ा सहने को हम बुन्देलखण्डवासी मजबूर हैं। सत्याग्रह के दौरान सुदेश नायक, हरविन्दरसिंह सलूजा, प्रेमशंकर गुप्ता, हनुमत, राजकुमार कुशवाहा, अमरसिंह, प्रदीप, कदीर खां, शिखर उमरिया, गफूर खां, गौरव विश्वकर्मा, पुष्पेन्द्र शर्मा, विनोद साहू, नंदराम कुशवाहा, कामता प्रसाद, लोकेश रैकवार, सोनू राजा, प्रदीप रैकवार, रवि रैकवार आदि उपस्थित रहे।

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