अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान
मौदहा हमीरपुर।क्षेत्र के प्रसिद्ध सूफी संत सय्यद हजरत मरदान अली शाह के सालाना उर्स के मौके पर हिन्दू मुस्लिम एकता की मिशाल दिखाई दी।जहां एक ओर फातिहा में कुरआन की आयतें सुनाई दे रही थीं तो वहीं दूसरी ओर भजनों की ध्वनि और ढोल नगाड़ों की थापों पर दिवारी नृत्य के आयोजन भी मेले की शोभा बढ़ा रहे थे।
कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मांचा स्थित सय्यद हजरत मरदान अली शाह का तीन दिवसीय सालाना उर्स मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को मनाया जा रहा है जिसमें मंगलवार को मजार पर कुरआन ख्वानी और नातिया मुशायरे का आयोजन किया गया जबकि बुधवार को दोपहर बाद मजार पर चादर पोशी के साथ ही लंगर का आयोजन किया गया था ।जबकि गुरुवार की सुबह कुल की फातिहा के साथ ही तीन दिवसीय उर्स का समापन होगा।
उर्स की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां पर जहां सर्व समाज के लिए भारी लंगर का आयोजन किया जाता है तो वहीं हिन्दू भाईयों द्वारा भण्डारे का भी आयोजन किया जाता है जो लगातार तीन दिन चलता रहता है इतना ही नहीं मजार पर जहां एक ओर फातिहा में कुरआन की आयतें सुनाई देती हैं तो वहीं दूसरी ओर संत समाज द्वारा गाईं जाने वाली भजनों की ध्वनि भी कानों पर गुंजन करती है।इस दौरान मेले में क्षेत्र सहित आसपास के गांवों के भारी संख्या में लोगों मौजूद रहे।जबकि मेला कमेटी इंतजाम देखती रही।इस सम्बंध में ग्राम प्रधान शहजाद अली ने बताया कि हमारे यहाँ का उर्स हिन्दू मुस्लिम एकता की मिशाल है और सभी लोग इसमें भागीदारी करते हैं।जबकि पूर्व प्रधान जव्वाद अली ने बताया कि यह उर्स उनके लिए त्योहार जैसा है।क्योंकि प्राचीन काल में मेलों का आयोजन इस लिए होता था कि सभी लोग आपस में मिल सकें।और इसमें गांव के सभी समाज और समुदाय के लोग बराबरी की हिस्सेदारी करते हैं।
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