चीन की स्थायी सदस्यता

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

 

यू.एन.ओ में चीन की स्थायी सदस्यता जिस अवधारणा को लेकर यू.एन.ओ. की स्थापना हुई उसको नजरन्दाज करने की रही है। यू.एन.ओ. में जो पांच मुल्क स्थायी सदस्य बनाये गये है उसमें चीन भी है। चीन को यह सदस्यता भारत की कृपा से मिली है। क्योंकि सदस्यता भारत को मिल रही थी पर भारत ने उदारता दिखाते हुये यह सदस्यता चीन को दिला दी। यूएनओ में कोई भी प्रस्ताव पास नहीं होगा जब तक इन पांचों देशो की स्वीकृति नही मिल जाती। अगर पांच में से एक भी सदस्य ने प्रस्ताव के विरूद्ध में विशेषाकिधकार के रूप में मिले अधिकार का इस्तेमाल कर अस्वीकार करता है तो वह प्रस्ताव पास नहीं हो सकेगा। चीन बराबर इस प्रस्ताव का गलत इस्तेमाल करता है सबसे ज्यादा भारत के हितों के विरूद्ध करता है।
पूर्व में 2008 में लश्करे ताइबा के एक आतंकी ने नृशंस हमला किया था। जिसमें कई लोगों की जान गई थी। मुख्य अभियोगी था साजिद मीर संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डालने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव के खिलाफ चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर निरस्त करा दिया। पाकिस्तान जो आतंकवाद का प्रयोजक है उसको बचाने के लिये चीन ने ऐसा किया। पिछले चार महीनो में यह तीसरा मौका है जब चीन ने पाकिस्तान को बचाने के लिये वीटो का दुरूपयोग किया पाकिस्तान से चीन के हित सघते है वह पाक के साथ मिलकर करिडोर बना रहा है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अधिक सुविधायें लेता है पाक को उल्टे सीधे शर्तों में बांधकर कर्ज देता है। श्रीलंका को इसी तरह की गतिविधियों से तबाह कर दिया जो श्रीलंका भुगत रहा है। अब तबाह होने की पाकिस्तान की बारी है।

याद कीजिये इससे पहले हाफिज सईद के रिश्तेदार अब्दुल रहमान मक्की, को और फिर मसूद अजहर के भाई रउफ अजहर को इसी तरह वीटो का गलत इस्तेमाल कर संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डालने से बचाया था। इसी तरह कुछ साल पहले जैश के मुख्य सरगना मसूद अजहर को अन्तराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के रास्ते में इसी तरह का अडंगा लगाया था। मीर जो एक अपने आतंक से दुनियां को परेशान किये हुये था उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने की कारवाई चल रही थी। इसी के तहत उसकी सम्पत्ति कुर्क करने, यात्रा और शस्त्र प्रतिबन्ध लगाया जाना था। संयुक्त सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य इस प्रस्ताव पर सहमत थे मीर इतना खतरनाक आतंकी है कि एफबीआई के सबसे वांछित आतंकियों के सूची में शामिल है। यही नहीं अमेरिका ने उस पर 50 लाख डालर का इनाम भी रक्खा है। आतंकवाद को पैसों से मदद देने की वजह से पाकिस्तान एफएटीएफ की पकड़ में आने पर पहले तो झूठ बोला की मीर मर चुका है। पाकिस्तान की झूठ बोलने की आदत से वाकिफ पश्चिमी देशों ने जब मौत का सबूत मांगा तो पाकिस्तान ने पिछले जून में बताया आतंकवाद रोधी अदालत ने मीर को सख्त सजा सुनाई है। आतंकवादियों को बचाने के लिये पाकिस्तान इसी तरह के झूठ गढ़ता रहता है और यूएनओ में चीन उसे बचाता रहता है। दोनो का मिलाजुला खेल कब से चल रहा है।
हाल में समरकन्द में शंधाई सहयोग संगठन की बैठक हुई है। सदस्य देशो ने आतकंवाद के खिलाफ एकजुट होकर सदस्य देशो ने अतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता का मजबूती से इज़हार किया इस संगठन का संस्थापक चीन है जो पाकिस्तान जो आतंकवादियों का नर्सरी है जिसे पाक हर तरह की मदद देता रहता है वित्तीय और कानूनी भी चीन हमेशा बचाता रहता है। संगठन के माध्यम आतंक रोकने की पहल भी करता है फिर उसे ध्वस्त करने के लिये आतंकियों और आतंक पोषित करने वाले देशों की हर तरह से मदद भी करता रहता है। अन्तरराष्ट्रीय बिरादरी में चीन अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है। इसलिये लोग उसके वादो को गम्भीरता से नही लेते है।
इस सन्दर्भ में मौजूदा अमेरिकी प्रसिडेन्ट की भी कारवाई इस क्षेत्र में खासकर भारत के लिये असन्तोष का विषय बना हुआ है। अमेरिकी प्रेसिडेन्ट ने पिछले सप्ताह अपने हितों को देखते हुये पकिस्तान को 45 करोड़ डालर की एक मुश्त मदद सैन्य सहायता के लिये दी है। सभी देख रहे है पाकिस्तान अपने सेना का इस्तेमाल पड़ोसियो के इलाके में घुसपैठ कराने, आतंकवादियों का पोषण कर उन्हें पड़ोसी देश के अन्दर घुसाने में इस्तेमाल करता आ रहा है। पाकिस्तानी सेना उन्ही पैसो के बल पर ऐश करती है, राजनीति के भी अपना हिस्सा लेते है, जनता बदहाल होती रहती है। अमेरिक यूएनओ पाक के खिलाफ प्रस्ताव में साथ देता है और बाहर इस तरह की मदद भी करता रहता है। अमेरिका जैसे देश से इस दोहरेपन की आशा नही की जाती है। फिर उसमें और चीन में कितना अन्तर रह जायेगा। क्या अब अन्तरराष्ट्रीय सद्भाव भी अपने स्तर से नीचे खिसकने लगा है।
दुनियां को एक होकर दुनिया की कुशलता के लिये स्थायी सदस्यों की सदस्यता और अधिकारो को लेकर तार्किक बदलाव लाना चाहिये। जिससे दुनिया मौजूदा स्थायी सदस्यता की शर्तो में फंसकर कोई विनाश न ले बैठे।

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