किताबें न मिलने से छात्र छात्राओं के भविष्य अंधेरे की ओर जिम्मेदार मौन

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अवधनामा संवाददाता (श्रवण चौहान)

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था वैसे भी सवालों के घेरे में रहती है क्योंकि उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था राम भरोसे है ये  बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि करीबन चार माह बीत रहे हैं परिषदीय विद्यालयों ( सरकारी विद्यालयों) में छात्र-छात्राओं को अभी तक किताबें ही नहीं मिली है कहीं-कहीं  एक या दो विषय की ही किताबें छात्र छात्राओं को खानापूर्ति के लिए दी गई हैं .लेकिन दुख की बात यह है कि करीबन  चार माह बीत रहे हैं तिमाही परीक्षाएं भी होने वाली है लेकिन बच्चों को पाठ्यक्रम के अनुसार उन्हें किताबें ही नहीं मिली हैं. गौरतलब है कि जब इस संबंध में छात्र छात्राओं से बात की गई तो बताया गया कि किताबें ना मिलने की वजह से शिक्षा व्यवस्था बेकार हो रही है ना तो पुरानी किताबें हैं ना ही नई किताबें मिल रही है. जो पढ़ा लिखा था वह भी भूल गए. उदाहरण के तौर पर बाराबंकी जनपद को हम ले लेते हैं जहां पर कक्षा एक से कक्षा आठ तक की 2636 विद्यालय हैं. जिसमें करीबन चार लाख छात्र छात्राएं हैं. जिन के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है. बता दें कि  जानकारी के अनुसार 10% से 12% किताबें ही  छात्र छात्राओं को दी गई है वो भी एक य फिर दो दो  . तो वही शिक्षा विभाग बाराबंकी के अधिकारियों के अनुसार  भी अब तक एक  दो किताबें बांटी गई है. लेकिन ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि  चार लाख छात्र छात्राओं को बाराबंकी में  अभी तक किताबें ही नहीं मिली है. ये छात्र छात्राएं कैसे समाज का सफल नेतृत्व कर पाएंगे. गौर करने वाली बात यह भी है कि बाराबंकी ही नहीं उत्तर प्रदेश के अधिकतर जनपदों में यही हाल है।
जनप्रतिनिधि हौसला प्रसाद ने शासन को लिखा पत्र
किसान नेता तथा जिला पंचायत सदस्य हौसला प्रसाद ने बच्चों की समस्याओं को देखते हुए शासन को एक पत्र लिखा है. जिसमें छात्र-छात्राओं को किताबें ना मिलने की वजह से शिक्षा व्यवस्था बेकार हो रही है यह बताने का काम किया है. हौसला प्रसाद ने हमारे संवाददाता श्रवण चौहान से बताया कि शासन के द्वारा जिस विद्यालय को हमें गोद दिया गया है .उस विद्यालय में भी किताबें नहीं दी गई है सरकार की मंशा है कि गरीब के बच्चे शिक्षा ग्रहण न कर सकें।
बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी  क्या बोले
बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष पांडे ने हमारे संवाददाता श्रवण चौहान से बातचीत करते हुए बताया कि बाराबंकी जनपद में अभी तक बच्चों को किताबें नहीं मिली है यह बात सच है. लेकिन इसमें हम सब का कोई दोष नहीं है. क्योंकि प्रिंटिंग प्रेस और जो पूर्तिकर्ता हैं वह किताबें जनपद मुख्यालय पर नहीं पहुंचा पा रहे हैं. जिसकी वजह से बच्चों को किताबें नहीं मिल रही है. कुछ विषय की किताबें बाटी गई है।
फ़ोटो न 2,3
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