अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज : रोटरी इलाहाबाद मिडटाउन के तत्वावधान में स्वच्छ नदी – निर्मल जीवन परियोजना के अंतर्गत गंगा यमुना एवं संगम क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता मापी गई। क्लब के अध्यक्ष पंकज जैन ने बताया कि युवा वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता डॉ आशीष रत्न मिश्र एवं डॉक्टर एकता पाठक मिश्र के वैज्ञानिक निर्देशन में 17 मई को तीन अलग-अलग स्थानों संगम पॉइंट, यमुना और गंगा नदियों से परीक्षण के लिए जल के नमूने लिए गए। प्रारंभिक तौर पर जल की इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, पूर्ण घुलनशील पदार्थ (टोटल डिसोल्वेड सॉलिड या टीडीएच) टर्बिडिटी और पीएच का मापन किया गया।
औसत टीडीएच यमुना में 600 mg/l, गंगा में 400 mg/l एवं संगम क्षेत्र में 500 mg/l पाया गया जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ)के अनुसार इसकी मात्रा 500 mg/l होनी चाहिए। टर्बिडिटी गंगा में 10 NTU एवं यमुना में 12 NTU पाई गई जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसकी मात्रा 5 NTU या उससे कम होनी चाहिए।गंगा के पानी का पीएच वैल्यू 8.5 जबकि यमुना के पानी की पीएच वैल्यू 9.5 से ज्यादा मापी गई जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार इसकी मात्रा 7.5 से 8.5 होनी चाहिए। इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी गंगा की 400 μs/cm, यमुना की 800 μs/cm पाई गई जबकि औसत इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी डब्ल्यू एच ओ के अनुसार 300 μs/cm से कम होनी चाहिए।
अतः प्रारंभिक परिणाम यह दर्शाते हैं कि हमारी गंगा और यमुना का पानी प्रदूषित है जिनको स्वच्छ एवं निर्मल करने के लिए हमें इसमें प्रवाहित कूड़े कचरे को रोकना होगा। पानी में उपस्थित पैथोजेंस, माइक्रो ऑर्गेनिज्म के अध्ययन की और आवश्यकता है। साथ ही साथ वर्षा के बाद पानी की गुणवत्ता की जांच की जानी चाहिए। समन्वयक टीम में रोटेरियन शर्मीली जैन, रोटेरियन राधा सक्सेना, डॉ दिव्या बरतरिया यूनाइटेड ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, लीमा जमीर, शुआयस, नैनी एवं इंजीनियर शुभम मिश्र (खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, नई दिल्ली) का योगदान सराहनीय है। समय-समय पर लगातार पानी की जांच की आवश्यकता है जिससे पानी में फैलने वाले प्रदूषण एवं उससे जनमानस पर पड़ने वाले प्रभाव का प्रबंधन सही प्रकार से किया जा सके एवं “स्वच्छ नदियां निर्मल जीवन” का सपना साकार किया जा सके।