फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए सबकी सहभागिता जरूरी- सीएमओ

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अवधनामा संवाददाता

जन-जन तक पहुंचाए फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश- सुरेश पटारिया
फाइलेरिया उन्मूलन पर आयोजित रहा मीडिया वर्कशॉप
कुशीनगर। फाइलेरिया को जड़ से समाप्‍त करने के लिए सभी का समन्वित प्रयास जरुरी है। फाइलेरिया या स्वास्थ्य संबंधित किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया की अहम भूमिका है। मीडिया के जरिये उपयोगी सूचनाएं पहुंचने से लोगों का व्यवहार परिवर्तन होता है। जीवन के लिए बोझ का रूप लेने वाली फाइलेरिया जैसी बीमारी के उन्मूलन में मीडिया की अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। सभी से यह अपेक्षा है कि संचार माध्यमों के जरिये जन-जन तक फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश पहुंचाएं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश पटारिया ने सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के संबंध में बुधवार को आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को सम्‍बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 12 मई से 27 मई तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन(एमडीए) अभियान चलने जा रहा है। जिसमें अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे। यह दवाएं निःशुल्क जनसमुदाय को खिलाई जाएंगी और इसका सेवन दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को छोड़ कर सभी को करना है। एसीएमओ डा0 ताहिर अली  ने एमडीए कैंपेन में आशा कार्यकत्रियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए जनसमुदाय से अपील किया कि जब भी आशा कार्यकत्री व उनकी टीम दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें और दवा सामने खाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसएमओ डा0 अंकुर सांगव2ने सामुदायिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस अभियान से शिक्षक, जनप्रतिनिधि, कोटेदार, सामाजिक संगठन, स्वयं सहायता समूह सहित विभिन्न प्रेरक को इस अभियान से जोडा गया है।
फाइलेरिया की पहचान आसान नहीं
डाक्टर रोहित कुमार ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से होता है। इसको सामान्यतः हाथीपांव भी बोलते है। इसमें पैरों और हाथों में सूजन के अलावा अंडकोष में सूजन जैसी दिक्कत होती है। व्यक्ति में संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में पांच से पंद्रह साल का समय लग जाता है। डा0 रोहित ने कहा डीईसी और एल्बेंडाजोल नामक दवा की डोज उम्र के अनुसार दी जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है और इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उलटी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। इनसे घबराना नहीं है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाते हैं। अगर किसी को ज्यादा दिक्कत होती है तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकते है।
18 लाख लोगों को खिलानी है फाइलेरिया की दवा
अपर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी ने कहा  कि इस बीमारी के लक्षण बीमारी के परजीवी माइक्रोफाइलेरिया के शरीर में प्रवेश के कई वर्षों बाद दिखाई देते हैं जो हाथी पांव, हाइड्रोसील का यूरिया आदि के रूप में प्रकट होते हैं। उन्होंने बताया कि जिले मे चालीस लाख की आबादी के सापेक्ष 45 फीसदी यानि कि 18 लाख लोगो को फाइल एरिया की दवा खिलानी है। कार्यक्रम का संचालन सीफार संस्था के रिजनल कोआर्डिनेनेटर वेद प्रकाश पाठक ने किया।इस अवसर पर एसीएमओ डॉक्टर जेएन सिंह, डीआईओ डॉक्टर संजय कुमार गुप्ता, डीटीओ डॉक्टर औसाफ़ अहमद खान, डीएलओ डॉक्टर वीके वर्मा,  डीसीएमओ डॉक्टर एएन ठाकुर, कंसल्टेंट डॉक्टर रितेश तिवारी, पाथ संस्था से रिजनल एनटीडी कोआर्डिनेटर डॉक्टर शिवाकांत, पीसीआई संस्था के डीसी डॉक्टर एसएन पांडेय,  सीफार संस्था के डीसी अरूण सिंह, सज्जाद रिजवी, राजनारायण शर्मा, सुजीत अग्रहरी और नीरज ओझा  सहित स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।
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