धार्मिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण भरतकुंड सरोवर उपेक्षा का शिकार , चारों तरफ लगा गंदगी का अंबार

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अवधनामा संवाददाता

अयोध्या ।धार्मिक दृष्टिकोण से जहां अयोध्या पूरे देश ही नहीं विश्व में जानी जाती है वही अयोध्या से जुड़े तमाम अन्य पौराणिक धार्मिक स्थल उपेक्षा के शिकार बने हुए हैं। भगवान भरत की तपोस्थली भरतकुंड इस समय बेहद उपेक्षा की शिकार है। ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण भरतकुंड सरोवर पूरी तरह से कचरे के ढेर में तब्दील है पूरा कुंड जलकुंभी से भरा हुआ है। सरोवर के चारों तरफ गंदगी का अंबार है और साफ-सफाई पूरी तरह से बाधित।
ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण इस धार्मिक स्थल के बारे में आपको बता दें कि 2005 में उस समय के मौजूदा सांसद निर्मल खत्री के प्रयासों से लगभग 4.5 करोड़ रुपए के बजट से कुंड के चारों तरफ घाटों तथा सीढ़ियों का निर्माण हुआ तथा साफ सफाई के साथ इसे सुंदर और सुसज्जित बनाया गया। इसके बाद 10 वर्षों तक यह एक बार फिर उपेक्षा का शिकार रहा। 2010 में श्री रामकृष्ण पांडे के ग्राम प्रधान निर्वाचित होने के बाद उनके प्रयास से तत्कालीन जिलाधिकारी किंजल सिंह द्वारा 2005 में लगभग 5 करोड़ों के बजट से एक बार सरोवर के पुनः साफ सफाई और जीर्णोद्धार का वृहद कार्य कराया गया जिसमें कुंड की सफाई के साथ आसपास यात्रियों को बैठने के लिए कुर्सियां तथा सौंदर्यीकरण के कई कार्य शामिल रहे। उसके बाद जनपद के जिलाधिकारी रहे अनिल पाठक जी द्वारा भी भरत तपोस्थली को विशेष महत्व दिया गया उनके कार्यकाल में यात्री विश्राम गृह सामुदायिक शौचालय तथा कुंड के चारों तरफ परिक्रमा पथ का निर्माण किया गया। इसके बाद के जिला अधिकारी अनुज कुमार झा द्वारा हाई मास्क लाइट रेन बसेरा तथा कुछ अन्य सौंदर्यीकरण का कार्य स्वीकृत किया गया। लेकिन पिछले लगभग 2 वर्षों से इस अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल को एक बार फिर उपेक्षा की दृष्टि से देखा जा रहा है ना तो 2 वर्षों से किसी तरह की साफ सफाई का कार्य कुंड में नही हुआ है। ना ही किसी प्रकार का सुंदरीकरण। पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस स्थान को एक बार फिर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार बनाया जा रहा है। 2021 में हुए ग्राम सभा के चुनाव मे यह सीट आरक्षित हो गई फल स्वरुप यहां मौजूदा ग्राम प्रधान द्वारा अभी तक इस अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल को सुंदर स्वच्छ तथा खूबसूरत बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। उनकी उदासीनता के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी गंभीर चिंता का विषय है। आपको बता दें कि यहां बड़ी संख्या में पर्यटक दूर-दूर से घूमने के लिए आते हैं उनके सामने इस पौराणिक स्थल की दुर्दशा भरी तस्वीर जाना बेहद गंभीर है। क्षेत्र के तमाम बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों  तथा संभ्रांत लोगों ने जल्द से जल्द इस कुंड के जीर्णोद्धार और साफ-सफाई की मांग शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से की है।
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